एक महान नैतिक चुनौती | Ek Mahan Naitik Chunooti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
434
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डन््कर्क के बाद ९
दूसरी श्रोर, सिनेटर जेम्स बन्से ने कनेल चाल्से लिडबर्ग की युद्ध से
अलग रहने की पराजयसूचक नीति के विरोध मे भाषण दिया 1 वेन्डेल विल्की
ते कहा--“हिटलर केवल बल जानता ह । जब हम अपने उद्योगों की मशीन
चला देगे और एक करोड़ आंदमियों को काम पर जटा देगे तो उसकी बास
खुल जोयेंगी ।” फ्लोरिडा के सिनेटर पेप्पर ने इस बात पर जोर दिया कि अमे-
रिका के हवाई जहाज यूरोप के जनतंत्री देशों को बेचे जायं ।
अमेरिका के लोग बहस करते रहे । उधर नाज़ी सेन्य-दलों के चलते से,
जमंन गोताखोर हवाई जहाजों के शोर से श्लौर ठेकों की खड़खड़ाहट से यूरोप
काँप उठा |
` और फिर डन््कक का युद्ध हुआ। २८ मई को बेलजियम के राजा
लियोपोल्ड ने अपने सिपाहियों को हथियार डाल देने का आदेश विया । इससे
ब्रिटेन और फ्रास की सेनाएँ भयानक संकट में फेस गईं । “हमें कठोर समाचारों
को सुनने के लिए तेयार हो जाना चाहिए,” विन्सटन चाचिल ने पार्ल॑मेण्ट में
कहा । गहनतम निराशा के समय वह प्रधान मंत्री बनाये गये थे 1ब्रिटिश और
फ्रांसीसी सिपाहियों की एक छोटी-सी टुकड़ी समुद्र की ओर पीठ किये डन्कर्क
में साहस के साथ लड़ती रही जिससे कि शेष ३॥ लाख ब्रिटिश सेनिक इंग्लेण्ड
लौट जाने की चेष्टा कर सके | जब कि वे डन्कर्क के तट पर जहाजों की प्रतीक्षा
कर रहे थे, जमन विमानीं ने उनपर धुग्राधार गोले बरसाये । ब्रिटेन से जहाज
आाये--विध्वंसक यान, छोटी नावे, स्टीमर, केलिपोत, मछली फँमानेवःली बोटे,
छोटे-छोटे बच्चो द्वारा रस्सी से खीचकर चलाई जानेवाली नावे -जो भी आ
सके, आये । जमं॑न-विमानों ने उत पर टूट-ट्टकर बम बरसाये । छोटे जहाजों
पर चढ़ने के लिए सिपाहियों ने गर्दन-गदंत तक पानी पार क्रिया । घायलों को
लोग हाथों और कन्धो पर उठा-उठाकर ले गये । जहाज्ञ बोझ से भुक गये।
फिर वे ब्रिठिश तट की ओर लपके । जमंन् हवाई-सेना ने उनपर फिर आक्रमण
किया । केवल एक दिन मे, अर्थात् पहली जून को, ६जहाज्ञ बमो से प्राहत होकर
डूब गये । इनमें से कइ्यों पर सिपाही खचाखच भरे हुए थे। लोगों ने अपने
पांस की प्रायः सभी चीज़े फेक दी, किंतु उन्होंने अपने सिरो पर से इस्पात के
टोप नही हटने दिये । समुद्र में विस्फोटक सुरंगों और टारपीडो का जाल बिछा
हुआ था । अरपताली जहाज़ो तक पर आकांश से बम गिराये जा रहे थे । जो
संनिक घावों पर फटी और गंदी पट्टियाँ बॉघे बुरी दशा में तट पर पहुंचते थे,
उन्हे लोग हर्ष और दुःख के मिश्रित ऑसू बहाते हुए हाथों-हाथ ले जाते थे ।
इंग्लैण्ड में खुशी मनाई गई। अमेरिका में भी ऐसा ही हुआ । जहाज कई बार
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