प्राचीन भारत में कृषि - व्यवस्था - प्रारम्भिक काल से 600 ई॰ तक | Prachin Bharat Men Krishi - Vyavastha - Prarambhik 600 Ishvi Tak

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Prachin Bharat Men Krishi - Vyavastha - Prarambhik 600 Ishvi Tak by पूर्णेश्वरी द्विवेदी - Poorneshvari Devi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पूर्णेश्वरी द्विवेदी - Poorneshvari Devi

Add Infomation AboutPoorneshvari Devi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
10 कह सकते हैं कि प्राचीन वैदिक युग से भूमि का समायानुसार विमिन्न प्रकारों में विभाजन किया गया है और महाकाव्यों एवं अर्थशास्त्र में नवीन मूमि को कृषि योग्य बनाने की परामर्श दी गयी है | 2. भू-स्वामित्व भूमि के प्रकारों का विवेचन करने के पश्चात्‌ एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि भूमि पर किसका अधिकार था। भू - स्वामित्व के प्रश्न पर इतिहासकारों ने तीन प्रकार का मत व्यक्त किया है और तीनों मतों के पक्ष में तत्सम्बन्धित ग्रन्थों में पर्याप्त प्रमाण मी मिलते हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार भूमि पर राजा का स्वामित्व था जबकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार मूमि पर व्यक्ति या समूह का स्वामित्व होता था। प्राचीन काल में कुछ ऐसे भी उदाहरण मिलते हैं जिनसे यह प्रतीत होता है कि मूमि पर सम्मिलित स्वामित्व होता था। पाश्चात्य इतिहासकार कैम्पबेल और मेन के मतानुसार, मूमि पर स्वामित्व पारम्परिकं ग्राम बिरादरी का था {° एच. एव. विल्सन ने भौ भूमि पर सामूहिक स्वामित्व के आस्तित्व को स्वीकार किया है টি भारतीय विद्वान डॉ0 सौकलिया ने सन्‌ 181 ई0 के एक क्षत्रप अभिलेख में 'रसोपद्रग्राम' की चर्चा की है। “^ उपरोक्त विद्वानों के उल्लेखो तथा समकालीन अन्य ग्रंथों के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि , वैदिक युग मेँ भूमि पर व्यक्तिगत ओर सम्मिलित स्वामित्व का विकास क्रमबद्ध रुप में हुआ। उस समय आर्य भारते मेँ आकर अपना विस्तार कर रहे थे तथा विभिन्‍न प्रकारों से भूमि पर व्यक्तिगत अधिकार के अतिरिक्त समहं में बेटे रहने के कारण भूमि पर उनका समूहगत अधिकार भी था। इस मत का समर्थन मजूमदार भी करते है हे | इस प्रकार मू - स्वामित्व के विकास में सैंद्वान्तिक और व्यावहारिक दोनों पक्षों का योग रहा। सिद्धान्त रुप में तो मूमि पर राजा का स्वामित्व दिखाई पड़ता है, क्‍योंकि राजतंत्र के उत्कर्षं के कारण साम्राज्य का विस्तार हुआ और साथ - साथ विजित मू - भाग पर उसका अधिकार स्थापित हुआ। समय - समय पर उसमें मूमि तथा गाव आदि ब्राहमणों, विद्वानों, मन्दिरों और बिहारां आदि को प्रदान




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now