सुविधायुक्त तथा सुविधारहित विद्यार्थियों के नियंत्रण के बिन्दु स्वमान शैक्षिक उत्तरदायित्व शैक्षिक अभिप्रेरणा तथा शैक्षिक सम्प्रप्ति का अध्ययन | Suvidha Yukt Tatha Suvidharahit Vidyarthiyon Ke Niyantran Ke Bindu Svaman Shaixik Uttardayitv Shaixik Abhiprerana Tatha Shaixik Samprapti Ka Adhyayan

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Suvidha Yukt Tatha Suvidharahit Vidyarthiyon Ke Niyantran Ke Bindu Svaman Shaixik Uttardayitv Shaixik Abhiprerana Tatha Shaixik Samprapti Ka Adhyayan by मीना रानी - Meena Rani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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শপ 3 ~~ सकता है। शिक्षा कै द्ुष्टि से इन समूहो के पिष्ठडूपन का कारण सरकार की उदा- सीनता ही रही है। स्वाधीनता के पूर्वं भी अंग्रेज शासकों ने जन सामान्य कौ शिक्षित करने में कोई रुचि नहीं ली थी। 19५7 के पूर्व तक भारत की अंग्रेजी सरकार ने पुविधारदहित समूहं की पिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं बनाया था। स्वराज्य आन्दोलन की प्रतिक्रिया के फ्लस्वरुप हरिजन बाल्तियोँ में कुछ गैर- सरकारी संस्थाओं द्वारा दिन व रात्रि की पाठ्शालाओं को अनुदान स्वीकार किया गया। यहीं ते स्ृविधारहित समूहों को शैक्षिक अवतर देकर शिक्षित करने की श्रभात की गई। परन्तु फिर भी आज तक उनकी उन्नति संतोषजनक नहीं हो पाई है। इत प्रकार हम देखते हैं कि सुविधारहित समूह के छात्र-छात्राओं मे शिक्षा कौ पर्याप्त कमी है | यदि अभिभावक बच्चो को किसी तरह विद्यालय भेज भी देते हैं तो जैसे ही बच्चा थोड़ा बढ़ा होता है और पारिवारिक आय में सहयोग प्रदान करने योग्य हो जाता है तो अभिभावक उम्े वापत घर बुला लेते हैं। इत्तलिए बच्चा! पाठशाला की पिक्षा ते ही वंचित रह जाता है जर यद्धि किसी तरह बच्चे विधालय में पढ़ने जाते भी हैं तो उनको पदाई-लिखाई के उन तभी ताधनों की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है जितते उनका विकास हो तके। परन्तु आजकल हमारे देश की सरकार का पर्याप्त ध्यान पिछड़े समूहों तथा मृविधारहित वर्गों पर ही है। इनके उत्थान के लिए भारत सरकार ने अनेक शैक्षिक प्रोत्साहनं की व्यवस्था की है। अतः प्रस्तुत अध्ययन दारा अनुतंधानकर्त्नी ने यह देखने का प्रयास्त किया है फि सरकार के ध्यान देने के प्चात्‌ भी स्रयिधारदहित समूह की छात्राएँ शैक्षिक अ्िप्रेरणा, शैधिक उत्तरदायित्व, स्वमान, नियंत्रण के बिन्दु तथा पैक्षिक सम्प्रापित चर पर तुविधायुकत समूह से किस प्रकार समानता तथा असमानता रखती हैं।




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