हंसी - खेल | Hansi - Khel

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Hansi - Khel by पण्डित सुदर्शनाचार्य - Pandit Sudarshanacharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चोरी की सजा / 9१ ) हँसी-खल हतन में हनुमता घर आया । भूत समझ इनको भग्र खाया ॥ लगा साचन फिर वह मन में । नहीं भ्रत यों फिरत दिन में ॥ नग््ते पर जब गट निगाह। मंद म उमक निकलती आह ' सारा भद्‌ ममभः म आया, मार तमाच इन्हे भगाया॥ कटा, ग्बीर मे कमा मजा। खूब मिली चारा कर सजा॥




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