श्री गीताजी | Shri Gitaji
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
405
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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' हो तो भी हो दाना। के'चे है के 'घर हाण दीजे
पण चर हाण न दीजे!। फेर आप रे म्होव्यार कुँवर
दै । फाले राजतोयो ने वणी रा बेटा करेगा ने
म्हारी बेदी रे जों चालक ठ्हेगा वी चर्णों कम
में परादीन रेंवेगा। अणी वच्चे तो नावड्या रा
वोरा नें देवा शं स्दारी वेदी आपणी कथीरी कर
` खायगा ने सुखी रेःवेगा। या बात शण राजा उदाश
ण्डे मेंलाँ में परा गिया।
पितो ने उदास देख वणँ रे कवर शारी बात
रो पतो चलाय पोते ही रथ में वैठ वणी परेल नखे
जाय ने कियो के पटेलां, थाणी बेरी ने म्हारीमा
कर दो ने थाँ म्दारा नानाजी वण जावो। थांने जो
भेम उहदे के म्हारा दोयता ने राज नी मलेगा, तो
लो सहूँ प्रण करूँ हूँ के कहूँ म्हारा चाप रा राजस
ष्ट्री कोड़ी भी म्हारी जाए ने नी लूँगा। अन्न ने
वस्त्र, खावा पेरवा जतरो थाणां दोयता री चाकरी
करने लेदूँगा और म्हारा वंश रा भी म्हारी नांई्ज
धांणा दोयता रा वरी चाकरी करेगा । या शण
मे वणी पटेल कियो के आपणां ही मनरीशाख
नो देवाय जदी आखा वंश रो साख कूँकर देणी
आवे जदी कुचर कियो के सहारा वंश री शाख
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