अन्तरिक्ष युग में संचार | Antariksh Yug Men Sanchar
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
290
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रतरिक्ष सचार के सामाजिक प्रमवि|11
का उपयोग करके यथारूप हस्तलेख की उतनी ही प्रतिया जितनी उसने चोहीं
पुन, प्राप्त कर ली, अथवा जब उसने उन मशीनों का विकास किया जिनका
सचार मे उपयोग करके अ्रत्यधिक दूरी की बातो को देखा और सुना जा सकता
था, श्रथवा जव उसने उस मानव-मशीन सचार मे कुशलता हासिल करके
इलेक्ट्रॉनिक अभिकलित्र (कम्प्यूटर) जैसे यत्र का निर्माण किया। इनमे से प्रत्येक
का मानव-जीवन मे मूल रूप से एक नया योगदान था जिससे उसने इस विश्व को
एक नई दृष्टि से देखा । सघार-उपग्रह कम-से-कम अमी तक, सचार के नवीन
साधन का रूप नही धारण कर पाए है । बल्कि ये दूर-सचार प्रक्रम के अत्यधिक
परिवर्धित रूप हैं। मानव सचार के क्षेत्र मे, समय श्रौर श्राकाश पर विजय प्राप्त
करने के प्रयास की तुलना मे, जो 500 वर्ष से जारी है, भ्रन्तरिक्ष सचार कोई
बहुत बडा मोड प्रस्तुत नही करता।
आटोमोबाइल (मोटरकार) से इसकी तुलना करना वाज्छनीय होगा ।
प्रॉटोमोबाइल मुलत कोई नया विकास नही था। यह पहिएवाली गाडियो के
मोजूदा शिल्प-विज्ञान तथा अ्रतदंहन इज्जन के श्रपेक्षाकृत नए शिल्पविज्ञान का
सभ्मिश्रण था, श्रौर इसके साथ इसके निर्माण मे श्रतिसूक्ष्म श्रीर परिष्कृत इजी-
नियरी का योगदान था। भारम्भ मे तो यह सबसे तेज़ चलने वाला भूमि परि-
वहन भी नही था (रेलगाड़ी भ्रवश्य थी) और विध्वसनीय वाहन तो यह कतई
न था (जंसा कि 'इससे भच्छा तो टट्टू ही है व्यग्योक्ति से स्पष्ट है) । किन्तु इसके
अगले महत्त्वपूर्ण चरण से इसको नवीनता की अनुपम महत्ता का पता चलता है।
इसने व्यक्ति-विशेष के हाथो इतनी शक्ति सौप दी कि इसके प्रचलन के होते ही
इसके पूवे के सभी स्थलीय परिवहन पिछड गए और इसने मानव-जीवन के
श्रनेक क्षेत्रों मे महत्वपूर्ण परिवर्ततो का समावेश कर दिया। इसने मानव को
रेलमार्ग समय-सारिणी श्रौर टिकटो के बधन से छुटकारा दिलायी, इसने तुष्टि,
प्रतिष्ठा श्रौर आर्थिक प्रतिफल का नया स्रोत उन्हे प्रदान किया तथा समय
और दूरी पर विजय प्राप्त करने मे मौलिक योगदान दिया।
सचार-उपग्रह मूलत. किसी नवीन शिल्प-विज्ञान की अभिव्यक्ति नही
करता, बल्कि श्रॉटोमोबाइल की तरह ही यह शिल्प-विज्ञान की बृहत् प्रगति का
चरणा मात्र है। प्रगति के इस परिमाण को हम एक या दो उदाहरणो द्वारा
स्पष्ट कर सकते है । सन् 1956 मे अमरीकी टेलीफोन एण्ड टेलीग्राफ कम्पनी,
त्रिटिश जनरल पोर्ट भ्रोंफिस ्रौर कंनेडियन श्रोवरसीज टेलीकम्युनिकेश्चन
कारपोरेरन ते श्रटलाटिके के नीचे दृहुरा केविल विद्धाया । ये नवीनतम केविल
एक साथ ही छत्तीस टेलीफोन वार्ता वहन करने की क्षमता रखते थे, किन्तु
User Reviews
No Reviews | Add Yours...