हठयोग संहिता | Hathayog Samhita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चदकर्मोके भेद ७
न न ~
वदिष्कृत धोतिका अङ्गः प्रक्षालन ।
नाभिमझ जलमें खड़े दोकर शक्ति नाडीकों बाहर निकाल
ऋण जब तक उसका मल पृश्येण धुल न जाय तव तक उखको
फरदारा प्रत्ञालन किया जाय, पत्मनात् श॒ुद्धकी हुई नाड़ी पुनः
डदरमें भरली जाय । यद प्रच्ालन देवतागणके ছিব জী दुर्लभ है,
यह गोपनीय हैं श्रीर केवल इस धौति दारा दी वेवताके सच्श
देहकी प्राप्ति दोती दे इसमें संन््देह नहों। जबतक साधफ एक
धामा समय तक चायुक्रों रोक नहीं सके तवंतक इस चह्िष्कृत
मद्राघीतिका साधन नहीं होता हं ॥ १२-१५॥
म्तघोतिके भेद ।
दत्तमलंधौति, जिदामलभौति, ऋर्णसन्धहयधोति और कप“
लंरन्धधोति, ये पांच दन्तधौतिके भेद रै ॥ १६॥
दन्तमूल धौति 1
स्वादिरस्स दारा श्रवा विथुद्ध चिका दारा ज्यतक
वदिष्छताङ्गभूतम्रत्तालनम् ।
नामिमनजठे स्थिता शक्तिना डं विजयेत् ।
कराभ्यां क्षाच्येन्नाडी याचन्मख्विस्तजनम् ॥ १३ ॥
तावत्पक्षातंय नाडीथे उदरे वक्षयत् पुनः |
इद प्रक्षाडनं गोप्य देवानामपि दुर्लभम् ॥
केवल धौतिमात्रेण देवदेहों भवेदूभवम् || १४ ॥
यामा धारणश्चक्तिं यावन्न साधयनैरः |
वदिष्छृतं मेहद्धीतिस्तावनचत्र न जायते ॥१५॥
हु दन्तधोतिभेदाः।
दन्तस्य चैव 'जिदूवाया मूं स्थं च कर्णयोः |
कपाखरन्धं पञैते उन्तधौतिर्विधीयते ॥ १६.॥ -
दन्तमूलधोतिः।
श्वादिरेण रसेनाथ छुद्धवा च मृदा तथा |
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