चौथा कर्मग्रन्थ | Chautha Karamagranth
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
388
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं सुखलाल जी कृत - Pt Sukhlal Ji Krat
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ই
यह पुस्तक लिखकर तो बहुत दिनोंसे तैयार थी, पर छापेस्रानेकी
सुविधा ठीक न नेसे इसे प्रकाशित्त करनेमे इतना विलम्ब इजा ।
जलदा प्रकाशित करनंक्र इराद्स बम्बर, पूना, आप्रा जर कत्तपुरम
खास तजबीज़ की गईं | बड़ा खच उठानेके बाद भी उक्त स्थानामिं
छपाईका- ठीक मेरु न बैठा, भन्तमे काक्चीर्मे छाना निम्।ित हुआ !
इसलिये पं० सुखलालजी गुज़रातसे अपने सहायकोॉके साथ काकी
गये आर चार महीने ठहरे | फिर भी पुस्तक पूरी न छपी ओर तबी-
यत बिगड़नेके कारण उनको गुजरातमें वापिस जाना पड़ा | छापका
काम काशीमें और पं० सुखछाछजी हज़ार भील-जितनी दूरीपर,
इसलिये पुस्तक पूर्ण न छपनेमे बहुत अधिक विलम्ब हुआ, जो क्षम्य है ।
ऊपर जिस मदद॒का उछख किया गया है, उसको देखकर पाठकों-
के दिलमें प्रभ हो सकता है कि इतनी मदद मिलनेपर भी पुस्तकका
मूल्य इतना क्यों रक्खा गया १ इसका सच्चा समाधान करना आद-
इयक है | मण्डछका उद्देश्य यह हे कि जहाँ तक हो सके कम सृल्यमें
हिंदी भाषाम जन धार्मिक प्रन्थ सुलभ कर देय जाय । एसा उहश्य
होनेपर भी, मण्डल छेखक पण्डितास कभी ऐसी जल्दी नहीं कराता,
जिसमें जरदीके कारण छेखक अपने इच्छानुसार पुस्तकको न लिख
सकें । . मण्डछका लेखक पण्डितोंपर पूरा भरोसा है कि वे खुद अपने
शोकसे ठेखनकायकी करते हूं, इसलिये बल तो समय हा इथा
बिता सकते हैं ओर न अपनी जानिबस लिखनेम काई कसर हा
उठा रखते हैं। अभीतक ठेखनकायमसे मण्डल ओर लेखकका व्यापारिक
म्बन्ध न होकर साहित्यसवाका नाता रहा हैं, इसलिये यथेष्ट वाचन
मनन आदि करनेमें ठेखक स्वतन्त्र रहते द । यष्टी कारण हे कि पुस्तक
तैयार होनेमें अन्य संस्थाओंकी अपेक्षा अधिक विलम्ब हांता £ ।
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