अलंकार | Alankaar
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
50 MB
कुल पष्ठ :
460
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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बिहार में गुश्कुल के स्नातक
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[ ले०-- श्री बल्देवनारायण, एम्० ए० |
दिवंगत स्वामी श्रद्धानन्दजो-द्वारा संस्थापित
गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार के स्नातक देश-
सेवा त्याग और कष्ट-सहन करने का अवसर
उपस्थित होने पर पीछे नहीं रहते--इसका परिचय
बिहार में भूकम्प का कल्पनातीत संकट उपस्थित
होने पर भो मिल गया। देश पर दुभिक्ष, बाढ़
अथवा ऐसा ही कोई और संकट आने पर शुरुकुत्ष के
ब्रह्मचारियों ने सबसे पहिले अपना घी-दूध आदि
छोड़कर उसकी बचत से दुखी देशवासियों की
सदा ही सहायता की ই। उनके इस उदाहरण
से देश के नवयुवकों, विशेषतः विद्यार्थियों में
नवजीवन स्फूर्ति और जागृति पेदा होने में सहा-
यता मिल्री है |; त्याग और तपस्या-प्रधान गुरुकुल-
शिक्षा पद्धति की यह विशेषता सनातकों के
जीवन के साथ तन्मयो गर दै
बिहार पर भूकम्प का यह संकट आते ही
उसकी आते पुकार सुनकर देह से पं० इन्द्रजी
विद्यावाचस्पति (संचालक अजुन) भौर श्रद्धानन्द
मेमोरियल ट्रस्ट के मनत्री श्री धमंवीरजी वेदालंकार
जनवरी के तीसरे सप्ताह में यहाँ के लिये
चल दिये थे । अपने पन्न अजुन में बिहार
की सहायता के तिये विशेष फण्ड खोलने
के इलावा पं० इन्द्रजी ने दुखी बिहार के संक-
टापन्न प्रदेश का दोरा कर सब समाचार-पत्रों में
उसके लिये हतचल और झान्दोलन पेदा कर दिया
था । आपके वक्तव्यों ने उस समय बिहार के दुः्खों
की कहानी आम लोगों तक पहुँचाई थी, जब कि
बिहार के लोग अपनी सुध-बुध भुलाकर किक-
त्तव्यविमूढ़ हुये पड़े थे | पं० धर्मवीर वेदालंकार को
श्रद्धानन्द-मेमोरियल-ट्स्ट ओर हिन्दू-महासभा की
ओर से होनेवाले सेवा सहायता काये का प्राण कहा
जा सकता दै । हिन्दु महासभा के सब कायं को
संगठित करके उसका संचालन आपने जिस तत्प-
रता के साथ किया है, उसको देखकर बाहर से
आनेवाले लोग चकित रह गये हैं। मुजफ्फरपुर
को अपने काय का केन्द्र बनाकर आपने सोतामढ़ो
ओर मोतीहारी के शहरों तथा गाँवों में सेवा
का जो काये किया दे, उसकी सराहना यहाँ
सबके मुँह पर है। इसमें सन्देह नहीं कि आपके
बिना हिन्दू-महासभा को अपने काये में इतनी
सफलता प्राप्त नहीं होती । अपने काय का एक
स्थिर स्मारक यहाँ छोड़ जाने के लिये अब इस
समय मुजफ्फरपुर में '“अ्रद्धानन्द-हिन्दू-भवन'
बनवाने का यन्न कर रहे ह, जिसके किये एक
उदार दानी सजन ने बड़े अच्छे मौके पर भूमि
दान देने की आशा दिलाई दे।
सुप्रसिद्ध पत्रकार, कट्टर राष्ट्रसेवक और देश-
भक्त श्रद्धानन्दजी की जीवनी के प्रख्यात लेखकः
श्री सत्यदेव विद्यालेकारने भी इधर गुरुकुल आर
झायेसमाज के गौरव को बढ़ाने में बहुत ही सरा-
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