लोरजा | Lorja

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Lorja by धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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-अनुसन्धान शिशिर घिरे जीवन-अरण्य मे, रोता है मघुमास उदास । जगह जगह पर तड़प रहे हें, उजड़े दिवसों के निःश्वास । नयन-सलिल से वाष्प उभर कर, आच्छादित है नग्न विपिन पर, तरु रोते निःस्वर आर भार, बिखरी है प्राणो की प्यास ॥ &




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