बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जनसंख्या तथा खाद्य संसाधन | Bundelakhand Kshetra Men Janasankhya Tatha Khadya Sansadhan

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Bundelakhand Kshetra Men Janasankhya Tatha Khadya Sansadhan by राम गोपाल कुशवाहा - Ram Gopal Kushawaha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(1880. 6 - क्षेत्र के संसाधनों के सम्यक विकास एवं भोजन आपूर्ति हेतु उपयुक्त सुझाव प्रस्तुत करना। शोध कार्य में प्रयुक्त विधितत्र : इस शोध कार्य मे मूल स्प से भौगोलिक अध्ययन की प्रादेशिक विधि का अनुसरण किया गया हे। अभीष्ट आंकड़े एवं सूचनाएं प्राप्त करने तथा मानचित्र निर्माण हेतु तहसीलों को न्यूनतम प्रादेशिक इकाई का आधार माना गया है। य्य तहसीर्लो की संख्या मेँ परिवर्तन होने से एक विशेष समस्या का सामना करना पड़ा तथापि उसको यथोचित ढंग से समायोजित किया गया है। द इस शोध कार्य में आवश्यक सूचनाएं एवं आंकड़े मूल एबं गौण दोनों ग्रोतो ¦ से प्राप्त किये गये हैं। शोधकर्ता द्वारा स्वयं विभिन्‍न तहसीलों का सर्वेक्षण करके मूल सूचनाओं को एकत्र करने का भरसक प्रयास किया गया है। जनसंख्या प्रक्षेपण, जनसंख्या... प्रवृत्ति एवं भूमि की वहन क्षमता आदि को साँख्यकीय विधियों से ज्ञात किया गया উ। ` क्षेत्र के वर्तमान आहार एवं हीनता जन्य रोगों की सूचना भोजन सम्बन्धी प्रश्नावली के आधार पर प्रयोज्यों के प्रश्नोत्तर संग्रह द्वारा प्राप्त की गयी है। तथ्यों के विश्लेषण में यथासम्भव नवीन विधिर्यो का प्रयोग किया गयहै एवं उन्हें उपयक्त मानचित्र दारा भी ` । प्रदर्शित किया गया উ। মালাঘিগী ক निर्माण मेँ भी यथासम्भव आधुनिकता पर बल विया गया हे। . विषय -क्स्त योजना : शोध-प्रबन्ध की विषय वस्तु को आठ अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। ` ध ६ किसी भी क्षेत्र के आर्थिक विकास मेँ वहां के भोगोलिके तत्वौ का सकवीधक योगदान रहता ` है क्योंकि ये तत्व ही क्षेत्र के संसाधनों के विकास की रूपरेखा को निर्धारित करते है। .. अतः प्रस्तुत शोध-प्रक्‍्ध के प्रथम अध्याय में अध्ययन क्षेत्र की भौगोलिक पृष्ठभूम के ` 9 स्प में यहां के प्रमुख भौगोलिक तत्वों जैसे- स्थिति एवं विस्तार, भौमिकी, उच्चावचन, ` | ` जलप्रवाह प्रणाली, जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति, मिट्टी आदि का संक्षिप्त वर्णन किया गया. রি ৭ अध्याय 2 में क्षेत्र की जनसंख्या নল मे मर कि किसी षे की ¦




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