तुलनात्मक राजनीति और राजनीतिक संस्थाए | Tulanatmak Rajniti Aur Rajnitik Sansthayen

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Tulanatmak Rajniti Aur Rajnitik Sansthayen by सी. वी. गेना - C. V. Gena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 तुलनात्मक राजनीति एवं शजनीतिक सस्वाए के निष्पक्ष व निडर मांगंदशंक रहें। परन्तु समाज के प्रति यह अपेक्षित उत्तरदायित्व राजनीतिशास्त्री तभी निभा सकत हैं, जवकि वे राजनीतिक सल्वाओं, ब्यवस्थाओं व प्रक्रियाओ्रों म॑ं जो विविधता व भिन्‍नता है उसका तुलनात्मक विश्वेषण करवे न वेवेल स्वयं समझने का प्रयत्त करें बरत सर्वसाधारण तथा सम्बन्धित राजनीतिक समस्याओं से सम्बद्ध व्यक्तियों के समझने याग्य सुझावों मे प्रस्तुत करें। यही कारण है दि राजतीतिक विचारक का चिन्तन व अध्ययन दन्य में नही ठोस तथ्यों वे सन्दर्भ मे अधिक्राधिक हीता रहा है जिसप्त वह राजनीतिक वास्तविकताओ से उन्मुख न हो और उनके ज्ञान वी व्यावहारिक लाभप्रदता बनी रह। इसलिए ही आज तक 'सरकारों वे शासन व्यवस्थाओं के अध्ययन मं तुतनाआ की खोज केन्द्र बिदु रहो है तथा सरकारों वे शास्त्रीय, परिषुद्ध व वैज्ञानिक (180005 १10 इशशगा॥ग0) अध्ययन के জিত तुलनात्मक राजनीति आधार स्तम्भ है ।? इस प्रकार तुततात्मक राजनीति का महत्त्व प्रत्ययकारी या प्रवर्तेव (9९$४७४1४९८) विद्यार्थी, शिक्षक व नागरिको के लिए ही नहीं वरन जागरूक जनसाधारण के लिए भी है। राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन विदेशों म पयटन ब समान है। दससे विदित हाता है तरि किस प्रकार विभिन समाजो म रहन वाते मनुष्यो का राजनीतिक व्यवहार भिन्त होता है ? तुननात्मक्त राजनीति विभिन्न समाजोकै व्यविनियो गे मूल्य जो उन्द्‌ प्रिय है ब्रिधिया जितका वे एक दूसरे को व बाहरी विश्व को समझने म प्रयोग करते है, तथा एक्सी राजनीतिक समस्याओ को हल करन वे लिएु भिन्न सायन व समस्याओं को अपनाते ह इत्यादि को समझने मे सहायक होती है ।* राजनीतिक सस्‍्याआ व्यवध्याओ व प्रक्रियाआ कौ विविवताण महूजत हौ यह प्रश्न सामन लाती है कि क्यो एक राजनीतिक व्यवस्था और सम्था एर समाजम्‌ सफन और अन्य स्थाने पर असफल होती है ? बयो माक्संवाद रुस मे ही सर्वप्रथम गहरी जड़े দা সাহা? অগা एशिया अफ़ीशा बे अनको राज्य अधिनायकवादी प्रवृत्तियो से युवत हो रह है ? क्यो ससदीय प्रणाती त्रिटन म सरकार में स्थायित्व ला सकी पर करा म ऐसा नहीं कर सकी ? क्यों भारत मं एक दलीय-प्रभुत्व (016 93119 0०71170910८) बना हुआ है ? क्यो कुछ समाज उत्पादन व वितरण वे साघनो दर राज्य केव स्वामित्व लोक्तन्त्र व स्वतन्न्नता के लिए घातक मानते हैं जबकि दूसरे नही ? क्यो वुछ राज्यों लोक तान्त्रिक समस्याओं व प्रतिनिधात्मक (६ए7८5९१६४॥४८) विधियों से ঘৃণা की जाती है, जवकि अन्य स्माजी म इनके लिए वडे-से बडा बलिदान करने के लिए हर व्यक्ति तेयार रहता है। इन प्रश्नों का उत्तर देन के लिए विविधघताओं को स्वीकार बरवे इन अन्तरी को जिससे (न व्ययस्था दूसरी से अलय लगती है, सूची वनाना मात्र काफी नही रै! यचि इम अन्तरी को समझने के लिए मह भी आवश्यक है पर पर्याप्य नहीं। इसके लिए यह जरूरी है कि राजनीतिक व्यवहार की निरन्तरता (णाणव) की 51514, 2 3 चप णत्‌ क्ति कण्वलत गल्या ड 5৫2, ६२61८ ५ 0) হাতের 4504, ६: 5 2০১ 838815590৫৮ 0075




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