भारत का वैधानिक एवं राष्ट्रीय विकास | Bharat Ka vedhanik evam rashtriy vikas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्रि्नवासियों का आगमन ९ की अबुमति मिलन पर। कितु नई कपती २०लाख पौंड उबार देन को प्रस्तुत थौ । মান্য को इतन की ही आवश्यकता था। पर नई कम्पनी की ब्याज कौ दर ८ प्रातःान श्री। पालियामन म व्रि रखा गया जिसक अनुसार सरकार के लिए २० ल्‍्यवे पीड ऋण की माँग की यईं। उसके बदले म ऋग देन बाला को पूर्वी दीप समूह के साथ व्यापार करन का एक्ाविपय था । * पुरानी कम्पनी को उसक अधिकार पतच के अनसार ३ बय अयात सितम्बर १७०१ तक समय देना या। जव पुरानी कम्पना न यह्‌ अनुभव किया कि एकाविपय और किसी प्रकार নী নয লনা টা वट सारी रक्मका प्रवयवरलणके किए तयार हई किन्तु मह प्रस्ताव देर स आया। नई कम्पती को एकापियत्य देन वाला विर पाल्य मट के दाना भवता से स्वीकृत हो गया और जुलाई १६९८ भ उस राजकीय स्वीहृति मिल्ल गई । सन्‌ १६९८ के एक्टन ऋण देत बाला को इस बात की स्वतजता दी নিবি अपनी पूजी के प्रिमाण के अन्तगत अलग्र-अल्ग अथवा राजकीय नपिकरार-पत्र के अधानर सयुक्त रूपसे व्यापार कर सक्तेह्‌) अधिका न पिछली बात का पसंद क्या और परिणामत ५ सितम्बर १६९८ को शाही अधिकार पत्र द्वारा दीइगलिय कम्पनी ट्रडिय दि ईस्ट इडीज़ नास की नई कापनी वनी। उसका प्रबंध २४ डाइरेक्टरो को सौषा गया य लोग अपन मसे ही एक अध्यक्ष (चेपयरमन) और एक उपाध्यक्ष निपुक्त करते | इस सम्बवम एक ध्यान देन की बात यह हू कि पहली कम्पनी की तरह इस कम्पनी के लिए कोई पयक प्रवेश पुल्क नहीं था| सत्‌ १६९८ के एक्ट वन जात वे फ्लस्वरूप दोनों कम्पनियों भें घातक प्रतिदीद्वाता हुई जिसमे सचाई के साथ व्यापार करन के सारे नियमों की अवहलना को गई। पुरानी कम्पनी को अनुभव था और साथ ही नई कम्पनी में कुछ स्वाय भी था । कारण यह था कि भविष्य के लिए सुरक्षा की दृष्ति से पुरानी कम्पनी न नई कम्पनी की २० छाख पौंड की पूजाम ३ १५००० पौड दिये थ। दूसरी आर सन १७०१ म पुराती कम्पनी के बन्द होत तक नई कम्पना प्रतीक्षा कर सकती थी! किन्तु इतौ वोच स्विति बद्धौ विकट १ एण्णला (भ्ल ए, (मकप पाऽष्छपक त 2750095 एण ४, 285 98 99 २ [एल 715021081 ১০7০১ ৪৫০ 2৪ ই 70506 0122007 [, 09020005০ 175500:% 06 [70012% 01 5 085৩5 98 99




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