कामसूत्र और फ्रायड | Kamsutra Aur Frayand
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.07 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ना प्रयरम करते है और उपचार के द्वारा उसे रतिसुख की प्राप्त करात ह 17 २ स्पतालिंगन ओर नीरसीरकॉलिग्गन का वणन माघ के शिशुपालवर्ध में प्राप्य है | ३ मुखबुम्न और िमितवर का वणन विसलाजुनीय और कुमार सम्भव मे मिलता हैं। जमइशतक में प्रानिदोयिक और नेपवीयवरित मे छाया १. वीक्ष्य सावमधिगन्तुमुत्सुका पूवमच्छमणिकुट्िमे मृदुमू । कोश्यमिंत्यु्ितिसम्श्रमीडता स्वानुविम्बमददशतैप ताम् तत्पणावहितभावभावित द्वादगात्मसित दोधितिस्थिति । सवा प्रियामभिभतलणोदया भावलामलघुना नुनोद स ॥ स्वन भावजनने से तु. प्रिया वाहुमूलकुचनाभिचुम्बने । निममे समापनाशमसारमसविभामिनीम् ॥। १८ ११५ १९६ १९७ २. उत्तरायविनयात् श्रपमापा रुघती किले तटीसणमागम् | जार्वारिप्ट विदटन . विदोदुवससेव कुचमण्डलम या 0 अतुब हृतवता. लनुवाहुस्वस्तिकापिहितमुग्यकुचाय़ा । भितशडखवलय परिपेता पयरम्भि रमसादबिरोढा पोडिते पुर उर प्रतिपप भतरि स्तनयुगेन युवया । स्पप्टमे दलत.. प्रतिनायस्ति सम्प्रेष्ट्मिव यापित ईपु श्लिप्यना हुदयमिप्टतमानामु । नाशियुपालवधमू १० ४२ ४३ ४ ४८ ३. जोलदप्टिवदन दर्थितायाइ्चुम्वति . प्रियतमे रभसेन । ब्रीडया सह विभीधि नितम्बादशुक शिथिलतामुपपेदे ॥। ६ ४७ ४. चुम्बने प्यपरदानर्वाजत सरद्स्तमदयोपगूलने । वितप्त मसमथमपि प्रिय प्रभोदुनभ प्रतिइन बघूरतम् 0 यमुलेग्रहणमसताधर न्तब्रणपद नख च यू यद्रत च सन्य प्रियस्य तत्पावती सम सेतरतू ॥ सम्भवभ ८ ८ ६ ४ तूय वासगृह विलोक्य धयानादुत्याय किचिच्छने । सुचिर निवष्य पत्युमुखम
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