सोनभद्र की आदिवासी जनजतियों की भाषा का अध्ययन | Sonabhadra Ki Aadivasi Janajation Ki Bhasha Ka Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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इन्हें नीम ऋषि कहा गया। भगवान शंकर रोज जगल में लकड़ी इकट्ठा करने जाया करते थे। जिनके वरदान से
नीम ऋषि के वशज प्रसिद्ध हुए। कुक के अनुसार इस कथा का प्रचलन भूहियार व मुसहर में आज भी प्रसिद्ध
टे। 1
इस प्रजाति के शरीर रचना के संबंध में कर्नल डाल्टन की रिपोर्ट महत्वपूर्ण है। वे लिखते है - * इस जाति के
लोग काले भूरे रग के होते हैं। आनुपातिक रूप में यह जाति थोड़े चपटे चेहरे वाली होती है। लम्बाई मध्यम कद
की, उगुनियां कठोर तथा पहाड़ी जाति के लोगों की तरह कठोर मांसपेशियों वाली। जहाँ तक मिर्जापुर एवं
सोनभद्र में इस जाति का संबंध है यह आठ कुलों में विभाजित है-
1 तिरवाह 2 मगहिया 3 दंदवार 4. महतवार
5. महतेक 6. मुसहर ष भूदहार 8 भूइयार
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इस जाति की अपनी एक जाति-पंचायत है, जो भइयारी नाम से प्रसिद्ध है तथा इस पंचायत का अध्यक्ष
पारिवारिक उत्तराधिकार के क्रम में एक व्यक्ति होता है, जिसे महतो कहते है। सामान्यतया खानपान जैसे प्रकरणों
के लिए ही यह पंचायत बैठती है, या जब किसी सहजातीय के बीच में यौन संबंध की शिकायत पंचायत में कोई
करता है। कुक का कहना है कि यह जाति विवाह के, लड़की ढूंढ़ने कभी दूर नहीं जाती। इस संदर्भ में इस जाति
की सारी उपजातियां वैवाहिक संदर्भो में समान स्तर की हैं। यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक पत्नियों का भरण-
पोषण कर सकता है और उसका मूल्य चुकाने में सक्षम है,तो वह पत्नियाँ रख सकता है जो एक ही घर में
अलग - अलग कमरों में निवास करती है। 2 सोनभद्र के आज के समाज में यह विभेद संकीर्णं हो गये है
तथा बहुपत्नीत्व की प्रथा सामान्य नहीं है। इस जाति में तलाक, विधवा विवाह जैसी प्रथायें भी प्रचलित है। पुत्र
के जन्म के समय नार काटना, सउर, छठी, बरही जैसी प्रथायें इनमें स्थानीय सवर्णों की तरह आज प्रचलित है।
विवाह के प्रकरण में लड़की की खोज लड़के का पिता करता है, जिसे जाति का प्रथान महतो अपने साथ कुछ
लोगों को लिवा जाकर स्वीकृति प्रदान करता है। चौक पूरने की प्रथा इनमें भी है। वियाह तय होने पर अक्षत
छिडक कर उसे समर्थन दिया जाता है। विवाह के समय मटमगरा, टीका, तेल - हरदी, पोखरी, मांगर जैसी
लोक प्रथायें इस जाति में सामान्य हैं। विवाह में सिद्ध के पेड़ का मंडप में होना आवश्यक है। भुट्यां धार्मिक रूप
1 [17085 & 55515 01075130107 /551 11012 - (00108, 2308 71, वा ॥
2 117055 & 02515 01101117551 11418 - (0०6, 806 74, रिध्षा | .,
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