हारीत संहिता | Hareet Sanhita
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
542
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय,
कुवैद्धनिंदा +” .... ~ ^
वैयका लक्षण: .... ति
चैद्यकशाल्रकी पठनकी आवश्यकता
रोग नहीं जाननेसे हानि
वैयसांक्ताका फर
रोगादिक जाननेकी आवश्यकता
देरकारुमादिफ जाननेकी `
, आचस्यकता .... ४ ..
रोगदेतु वातादि दोष ---- ....
रोगपराक्षाकेः प्रकार
साध्यासाध्यका: लक्षण ५०००
साध्यादिक-दोनेका कारण . `“...
उपद्रवका छक्षण .... ... ....
रोग नि्ेछ. करनेकी आज्ञा. ....
सूक्ष्म भी रोग शत्रुसमान है ....
सोगके फैलनेके प्रथम ही प्रती- -
कार करना ... .
व्याधियोंका प्रकार
तीनप्रकारके व्योधियोंका प्रकार -
ज्वरकी व्यापकता ....
जातिपरलंमेंज्वरकी अंसाध्यता
ज्वरकी बलिछता ,,.. --- .:,
मनुष्य ज्चर-सह सकता-है तिसका कारण १ ७७
सबरोगमें ज्वरकी श्रेष्ठंता - .....
प्रथक् भणिमेदसे ज्वरके.नामान्तर
एवरके स्वद्यका रक्षण . ,
ल्वरकी उत्पत्तिः ५, =: 7,
व्वरकी निदामसदित संप्रा्ति
श्वरे हेतु 7 ০০,
अकट इए. न्वर् रक्षणः ` ~,
विंषयाडकमणिका- (११)
प्रष्ठ; | विषय. पृष्ठ,
, १७२ | ज्वरकी विशेषता .... १७९.
,„ | वातज्वस्में प्राचन .... . টা.
ॐ - | पित्तञ्व्रका पाचन... -.. „~ १८९
१७६ | कफञ्वरमे पाचन. =, ৪
4 संनिपातञ्वसमें पाचन ` `. ` +४
3 ज्वरे -पथ्यः १७०० । न
वीतन्यरका निदान जर चिविसा # |
| वातञ्वरका पाचन. “` ** १८९०
# | अन्नहीन जौषधका गुण ओर मु
१७४ | निषेघधका विशेष वर्णन 22
১ | पाचन हुए. औषघका लक्षण .... ॐ
न उछलनेवाले-औषघका लक्षण .:.. -''ऋ
৮ | पाचन हनम शेष रहे जौषधका रक्षण »
१७९ | मोजनके उपरत देनेके.ओषधका गुण १८२९
> | वातञ्वरमे-पचमूरुका काथ „^ ` ` ‰-` °
- ` | पित्तज्वरके निदान ओर चिकित्सा >
त रोप्रादि জা **০* ` রী १ ८९ টু
१७६ | शक्रीहादि काथ „^ ~~ न क्र :
५ |दुलमादिकाथ ~^ = ৯
%» ` | पित्तपापडा काथ... `` 1৯
9 यादि काथः „.. ` ००० १८४
युड्च्यादि काथ {= ' ` = #
द्राक्षादि' काथ । {ॐ
+ ` ,| दादतषामूच्छके ऊपर विदायाीदिरकोका `
` ॐ. उपचार दाहज्वर्कःडपाय,.. ৯.
१७८ `| ज्वस्शोष्कोः उपाय “~ „~ ` १८१९.
> | कफञ्वरका- निदान ओर चिकित्सा `+ ।
' 2 `: [कफञ्वरका- पाचन पिप्पस्यादि कस्कं + -,
` ' *१७९ | व्याध्यादि ` कल्क १८६
` » [वासादि काथ .:১ ৮ 9
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