उ०प्र० विधानसभा में विपक्षी दलों की भूमिका | Uttar Pradesh Mein Vipakshi Dalon Ki Bhumika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
387 MB
कुल पष्ठ :
460
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उल्लेखनीय है कि विपक्ष द्वारा सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था करना एक शान्तिपूर्ण
प्रक्रिया है । चाहे यह संसदात्मक विचारधारा के परिवर्तन से हौ अथवा आम चुनाव के द्वारा ¦ इस
प्रक्रिया को प्रेरणा देने के लिए एवं सत्ता परिवर्तन को उचित ठहराने के लिए विपक्ष एक कार्य-
क्रम निर्धारित करता है जो कि आवश्यक नहीं कि हर एक दृष्टिकोण में सरकार के कार्यक्रम से
भिन्न हो । विपक्ष अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए सदैव शान्ति पूर्ण साधनों का उपयोग करता है
यह एक उत्तरदायी समूह है जिसका उद्देश्य देश को अराजकता की स्थिति में ले जाना नहीं है।
जे. बन्दोपाध्याय के अनुसार-बन्दी शिविर, सैनिक शासन, गुप्त पुलिस और सशस्त्र विद्रोह तानाशाही
देशों के मुख्य लक्षण हैं | प्रजातंत्र में संसदीय विरोधी दल इन लक्षणों की जगह एक विकल्प प्रस्तुत
करता है । इस बात को ध्यान में रखकर संसदीय विरोधी दल उस राजनीतिक विरोधी दल के हाथों
में महत्वपूर्ण साधन है जो किसी समय विधान मण्डल में अल्पमत बन जाये । एक संसदीय विरोधी
दल के रूप में कार्य करके ही ऐसा राजनीतिक दल अपने विचारों को स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग
से निर्वाचक गण के सामने रख सकता है । दूसरे शब्दों में एक प्रभावशाली संसदीय दल विरोधी
पक्ष की तरह कार्य करके ही एक राजनीतिक दल जो निर्वाचनों में पराजित हो गया हो फिर से
शान्तिपूर्णं साधनों, द्वारा सत्ताधारी हो सकता है तभी एक आदर्श सरकार के रूप में प्रजातंत्र सफल
हो सकता है । (५ इकबाल नरायण के शब्दों में - ऐसे विपक्ष के अस्तित्व से जो पूर्ण स्वाधीनता
से सरकार की आलोचना कर सके और फिर भी बहुमत के शासन के सम्मुख नत मस्तक रह सके
एक ऐसी व्यवस्था बन जाती है कि जिससे शासन का परिवर्तन. बिना किशीहिंसा पूर्ण उथल-पुथल
के हो सकता है । (2/ दूसरे शब्दों में विरोधी दल देश में तानाशाही, अराजकता, सैनिक शासन,
गृह युद्ध अथवा क्रान्ति जैसी अमानवीय, अलोकतांत्रिक तथा प्रलंकारी घटनाओं की संभावनाओं को
समाप्त करता है ।(3) अतः विरोधी दल शक्ति प्राप्त करने के लिए शान्तिपूर्ण साधन ही अपनाता
है यह राज्य के नियमों व परम्पराओं के अधीन ही कार्य करता है और राज्य के प्रति पूर्ण निष्ठा
रखता है | विरोधी दल एक उत्तरदायी निकाय है, वह ऐसा कोई काम नहीं करता जिससे देश में
अराजकता फैले । यदि सत्ताधारी दल कुछ कारणों से सरकार को चलाने में असमर्थ हैं या सरकार
का चलाना असंभव हो तो विरोधी दल अपने हाथ में सत्ता लेने के लिए तैयार रहता है | देश
के प्रति निष्ठा और अपने उत्तरदायित्व को समझने के कारण विरोधी दल केवल राजनैतिक गुट
न होकर वास्तव में सम्नाट का विरोधी दल वन जाता है । (4)
विपक्ष को भी सत्तारूढ दल की भाँति जनहित में कार्य करना होता है । प्रधानमंत्री
श्री मोरार जी देसाई नें उस समय ही लिखा था जब वे प्रतिपक्षीय नेता के रूप में कार्यरत थे |
- निम्नलिखित कार्य करके यह देखना विपक्ष का कार्य है कि देश के हितों की सुरक्षा की जा रही
है- प्रथम, सरकार के लोक तांत्रिक तथा देश के हितों में किये गये कार्यो का समर्थन करने,
द्वितीय, सरकार के उन प्रयासों का विरोध करके जिनका वे देश के लिए अहितकर समझते हैं
1. जे. बन्दोपाध्यायः थ्योरी एण्ड प्रेक्टिस आफ पार्लियामेंट अपोजीशन , 1961,
पृष्ठ-3
2, नारायण इकबाल: शासन के सिद्धान्त एवं प्रमुख संविधान भाग-2 आगरा अग्रवाल
एण्ड कम्पनी 1980, पृष्ठ -136
ध गुप्ता चंन्द्रकां, लोक सभा मे विपक्ष की भूमिका 1967 से 1976 काशी हिन्दू
विश्वविद्यालय अप्रकाशित शोध ॥ | 1981, पृष्ट -9
4. आरजी वाल्ड एन> फोड , हिज मैजेल्टिक अपोजीषान्, 1714-1830, 1964, पृष्ठ-2
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