जीवनामृत | Jivanamrit

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Jivanamrit by सुधाकर - Sudhakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वास्थ्य कुचल देते हैं ओर उनके स्थान पर, समय से पूवं, उन से गम्भी- रता लाना चाहते ह, वे अपने वदो के साथ अन्याय करते हे. । बचपन सनुष्य-जीवन का सुनहरा काल है । आमोद प्रमोद उसका सार है । चंचलता ओर चपत्तता उसका भूषण हे । इनको मिटा देने से आप उनके बचपन ही को मिटा देना चाहते हैं । क्या तुम्हें अपना बचपन याद नही ९ क्या तुस उसके लिये तरसते नहीं ? यदि ऐसा है, तो फिर तुम अपने बच्चों को क्‍यों इस प्रकार नही रखते कि उनको अपने बचपन का समय भावी जीवन में सर्चदा याद रहे | बचपन की स्पृत्तियां यदि सुख-अ्रद होंगी, तो बुदापा सुख से कटेगा। इस तथ्य को ध्यान मे रखना चाहिए । बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सभी आवश्यक वातों पर पूरा पर ध्यान दो । उनको खुले, हवादार तथा प्रकाश से परिपर्ण मकानों म रक्खो । प्रातः नियम-पवक खवच्छ वायु का सेवन तथा आहार व्यवहार का ग्रहण करना परिवार के सभी व्यक्तियों के लिए अति चाय्य होना चाहिए । जो माता अपने गृह-प्रबन्ध में स्वास्थ्य का स्थान ऊँचा नही सम- भती, मानो वह अपने परिवार में दुःख को निमन्त्रण देती है। माता को चाहिए कि बीमारी लाने बाले तमाम कारण अपने घर से दूर হত । प्रात: उठकर घर के दरवाज़े खोल दे, उसको स्वच्छ करे । चारो चोर हवा ओर भकाश फेला दे । बच्चों में ऐसे भाव डाले ৬




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