जीवनामृत | Jivanamrit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वास्थ्य
कुचल देते हैं ओर उनके स्थान पर, समय से पूवं, उन से गम्भी-
रता लाना चाहते ह, वे अपने वदो के साथ अन्याय करते हे. ।
बचपन सनुष्य-जीवन का सुनहरा काल है । आमोद प्रमोद उसका
सार है । चंचलता ओर चपत्तता उसका भूषण हे । इनको मिटा
देने से आप उनके बचपन ही को मिटा देना चाहते हैं ।
क्या तुम्हें अपना बचपन याद नही ९ क्या तुस उसके लिये
तरसते नहीं ? यदि ऐसा है, तो फिर तुम अपने बच्चों को क्यों इस
प्रकार नही रखते कि उनको अपने बचपन का समय भावी जीवन
में सर्चदा याद रहे | बचपन की स्पृत्तियां यदि सुख-अ्रद होंगी, तो
बुदापा सुख से कटेगा। इस तथ्य को ध्यान मे रखना चाहिए ।
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सभी आवश्यक वातों पर पूरा पर
ध्यान दो । उनको खुले, हवादार तथा प्रकाश से परिपर्ण मकानों
म रक्खो । प्रातः नियम-पवक खवच्छ वायु का सेवन तथा आहार
व्यवहार का ग्रहण करना परिवार के सभी व्यक्तियों के लिए अति
चाय्य होना चाहिए ।
जो माता अपने गृह-प्रबन्ध में स्वास्थ्य का स्थान ऊँचा नही सम-
भती, मानो वह अपने परिवार में दुःख को निमन्त्रण देती है।
माता को चाहिए कि बीमारी लाने बाले तमाम कारण अपने घर से
दूर হত । प्रात: उठकर घर के दरवाज़े खोल दे, उसको स्वच्छ
करे । चारो चोर हवा ओर भकाश फेला दे । बच्चों में ऐसे भाव डाले
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