वीर मराठा बाजीराव पेशवा | Vir Maratha Bajirav Peshava
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
उस अग्नि, की वाला से तप्र महार वीर अचर शं सहित युद्ध
भूमि में आ डटे और तलवारों के वार के साथ ही साथ आँखों से
अग्नि की ज्वाला फेंकते हुए औरंगजेब का मद-मदन करते लगे !
उस समय एक भी महाराष्ट्रवीर किसी भाँति भी एक अश्व और
तेजस्वी चन्द्र के समान चमकता हुआ भाज्ञा यदि पा जाता था, वो
वही भागते हुए मुगल सिपाहियों का पीछा कर उसे यमलोक
पहुँचा देता था । “हरहर महादेव” के गगन भेदी नाद से चुद्र यवनं
, का हृदय काँप उठता था ओर ध्वनि के साथ ही साथ दिग् दिगन्त
से प्रतिध्वनि होने लगती थी। रण--चण्डी तारेश्वरी के चक्ुओं
की भयंकर अग्निज्वाला से, झुगल सेन््य भस्मीभूत होने लगी
थी--हाहाकार मच गया था। अपने पति के আন भ्राता को खा-
घीन करना ही उस बीर भारत-रमणी का एकमात्र लक्ष्य था।
जिस समय बालाजी विश्वनाथ 'सासवाड़े! में पहुँचे, उस समय
तारावांग बाई के रक्षक रामचन्द्र पन्त, शंकरजी नारायण ओर सेना
नायक धाननन जी यादव आदि महाराष्ट्र बीरों के तेज से समग्र
दक्षिण प्रान्त भयभीत हो रहा था। विधर्मी मुगल महाराष्ट्र वीरे
का रौद्रूप देखकर पराजित हो इधर उधर पत्ाायन करने लगे |
जिन जिन देशों को मुगल सम्राट औरंगजेब से अपने दमन नीति के
आधार पर हस्तगत किया थां उन प्रदेशों को महाराष्ट्र बीरों ने पुनः
अपने अधिकार में कर लिया |
एसे समय में वीर ओर दूरदर्शी व्यक्ति की विशेष रूप से आव-
श्यकता थी। वहाँ उसके लिए कार्य तथा पद का अभाव न था |
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