अध्ययन के विचार | Adhyayan Ke Vichar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
141
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विष्णुकिशोर बेचन - Vishnukishor Bechan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्ययन के विचार ६
वरो का सम्बल लेना ह । “नया पथः को श्री बाबू आअद्योपान्त पढ़ते
हैं। नज़र में बुरा हो जाँऊ, पसन्द नहीं ।
हों, इस सुधार पर कविता यदि “नया पथ” में अपेक्षित हो तो
मै सहे प्रस्तुत ह!
उपयुक्त पंक्तियों से स्पष्ट ध्वनि आती है कि किस प्रकार आज
के अधिकांश नवयुवक कलाकारों की नीति अवसरवादी नीति हो रही
है । किस प्रकार वह कम्युनिष्ट भी नहीं बनना चाहता है पर कम्युनिष्ठों
के होवे को ्रचारित करते हुए अपनी अहम्मन्यता प्रदर्शित करता है।
वैसे पत्रों में अपनी कविताएं प्रकाशित कराने के लिये स्वयं सिफारिश
भी कराता है तथा अपनी रचनाओं में सिद्धान्तोनुकूल आवश्यक
परिवतेन भी कर देना चाहता हे ।
आज अधिकतर साहित्यकार ऐसा करते नहीं वे अभावों में रहते
हैं पर उस शक्तिको पहचानने की कोशिश नहीं करते जो उन्हें अभावों
की ओर खींचती जा रही हे । इसलिये साहित्य में गलतफहमियाँ बढ़
रही हैं विशेष कर बड़े बड़े साहित्यकार इन गललतफहमियों को
बढ़ाते हैं में तो पत्र पत्रिकाओं में ऐसी उल्टी सीधीं बातें देखता हूँ
तो जी जल जाता है । इच्छा होती है कि उनके शब्द शब्द का उत्तर
दूँ लेकिन मजबूरी हे रोजी रोटी की समस्या है, समय और जीवन
की पाबन्दी दै, पत्र संपादकों एवं प्रकाशकों की अकृपा है । दिल्ली में ही
बहुत सारे साहित्यकार हैं जो यदा-कदा एक दूसरी प्रतिक्रियाशील
शक्तियों को बल पहुँचाते रहते हैं--शिव दान सिंह को आलोचना” से
निकाल दिया गया आज एक दूसरा साहित्यिक दल वहाँ स्थापित हे,
वह शिवदान सिंह एवं उनकी मजबूरियों को कहाँ से देखता दरन्
उसके साहित्य की पुनः आलोचना कर उन्हें गलत साबित कर रहा हे
(इस संबंध में काफी सत्य एवं सुलका हुआ विचार नया पथ'के अनुभवी
सम्पादक श्री शिव वम ने नया पथः के माचं १७५४ के सम्पादकीय
मे व्यक्त किया है ) इससे पाठकों मे भ्रति फैलती है । फलतः साहित्य
विक्त होगा ओौर जो जनवादी लेखक विश्वास के साथ लिखते हैं
उन्हें कम्युनिष्ट कहा जाता हे, इस आशय का कई पत्र मेरे पास
आया किन्तु में मूखे (यह शब्द मैं प्रयोग में नहीं लाना चाहता
था सहित्यकारों को कभी मानता नहीं, में जानता हूँ किसमें
कितनी माहाय है । आज जिस भयंकर रूप भें कलाकारों पर नृशंस
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