समाजवादी आन्दोलन में समाजवादी पार्टी | Samaajvadi Aandolan Me Samajwadi Paartii

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Book Image : समाजवादी आन्दोलन में समाजवादी पार्टी  - Samaajvadi Aandolan Me Samajwadi Paartii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विचारधारा के आधार पर समाजवाद क्रा उदय 9 साधनो पर ओर बैको जैसी सस्थाओ पर सभी राज्य का प्रभुत्व हो 1“ आचार्य नरेन्द्रदेव के अनुसार- समाजवाद का उदेश्य एक वर्ग विहीन समाज की स्थापना करना है, जिसमे न कोई शोषक हो, न रोषित, बल्कि समाज सहकारिता के आधार पर निर्मित व्यक्तियो का एक सामूहिक सगठन हो 1. जय प्रकाश नारायण के अनुसार- “समाजवादी समाज एक एेसा वर्गरहित समाज होता है, जिसमे सभी समान होते है । यह एक एेसा समाज होता है, जिसमे व्यक्तिगत सम्पत्ति के लिए मानवश्रम का शोषण नही होता, जिसमे समस्त सम्पत्ति वास्तविक रुप मे राष्ट्रीय होती है .जिसमे किसी को बिना कुछ किये नही मिलता ओर जिसमे आप की अधिक असमानताए नही होती, तथा जिसमे मानव का सचालन व उसकी उचति योजनाबद्ध ढग से होती है तथा जिसमे सब व्यक्तिगत सबके लिए जीवित रहते है | इन परिभाषाओ की समीक्षा करने पर यह निष्कर्ष निकलता हैं कि समाजवाद न केवल एक राजनीतिक दर्शन है वरन्‌ यह एक महान आन्दोलन भी है। यह व्यक्तिवाद के विरुद्ध एक तीव्र प्रतिक्रिया है। समाजवादी समाज एक ऐसा वर्ग विहीन समाज होता है, जिसमे व्यक्तिगत सम्पत्ति वास्तविक रुप मे राष्ट्रीय सम्पत्ति होती है,जिसमे प्रत्येक व्यक्ति को परिश्रम करने पर ही पारिश्रमिक मिलता है और जिसमे आय की अधिक विषमता नहीं होती है | जिसमें मानव जीवन का सचालन व उसकी प्रगति योजनाबद्ध तरीके से होती है तथा जिसमे सभी व्यक्ति सबके लिए जीवित रहते है। समाजवाद के तत्व- समाजवादी के सिद्धात के प्रमख तत्व निम्नवत है -- | समाजवादी समाज वह है जहाँ उत्पादन और वितरण के साधनो पर्‌ समाज का स्वामित्व हो, जहाँ राज्य समाज के प्रतिनिधि के रुप मे इन साधनों पर नियत्रण रखे तथा राज्य केवल व्यवस्था के रुप मे स्थित रहे, लेकिन मार्क्सवाद पर आधारित समाजवाद राज्य उन्मूलन के पक्ष मे है। আস জগ চক ক টিন ২ प) जवाहरतात तेस्‌ विश्व इतिहास को झलक, खण्ड 2, (५७ /01 মা आचार्य नरेन्द्र देव रष्टरीयता भौर समाजवाद, पृष्ठ 409 जय प्रकाश नारायण दि फाउन्डेशन ओंफ सोशलिज्म, (1936), बिमला प्रसाद, पृष्ठ 12-13




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