सेनानी | Senani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
295
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५४
१६} सेनानी (काव्य)
प्रसंग में भगवान ने कहा है कि में सेनापतियों में स्कन्द कुमार
हूँ र्यात् सेनापतियो मे स्कन्र कुमार सर्वश्रेष्ठ है और बह
विभूति के अ्रतिशय से युक्त होने के कारण मेरा ही स्वरूप है ।
स्कन्दे के अतिरिक्त देवसेनावी कुमार कात्तिकेय के
प्रभ्य अनेक नास हैं । असरकोय मे उनके श्रटारह नाम बताये गये
हैं, जो इस प्रकार है--
कार्तिकेयो महासेनः शरजन्मा पडाननः।
पावेतीनन्दनः स्कन्द सेनानीररिनिमूगुं हः ५
वाहुलेयस्तारकजिद्विशाख: शिखिवाहन' |
पाण्माठुर झक्तिधर: कुमार: त्रौज्बदारणः 1
(प्रथमकाण्ड स्वंवर्ग इलोक ४१-४२--४३)
अर्यात् कुमार कात्तिकेय के श्रटारह नाम ह--कातिकेय,
महासेन, सरजन्मा, पडानेन, पार्वतीनन्दन, स्कन्द, सेनानी, আম্মু,
गुह, वाहुलिय, तारकजित, विभाख, शिसिवाहन, पाण्मातुर, क्षक्तिधर,
कुमार, क्रौज्चदारण । इनमे कात्तिकेय, पष्ठानेन, पावतीनन्दन,
स्कन्दे, सेनपनी, तारकित, िलिकहुन, पाप्मातुर, दाकितिधर श्रौर
कुमार ये दस नास अधिक प्रसिद्ध एवं श्रवैवान हू 1 उनका मूलनाम
सकन्द । गीनामे उनके स्कन्द नाम कोही मान्यसादीरगरहूट
(सेनानीनेमवं स्कन्द) । उनका मून नाम स्कन्द ही था। जिक्त
पुराण भँ उनके चरिते का विस्तृत वर्णेन है उमकानाम भौ स्वन्द
है । भुमास्वयमें ही उन्टेनि तार वध श्रादि भ्रनेक पराक्रम किये
ये) अतः ले कुमारों के श्रादर्श चने भौर कुमार उनके नाम का पर्याय
बस गया । अपने पराक्रम के कारण स्कन्दकुमार कुमारों के आदर्श
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