नूतन आलोक | Nutan Alok
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सब एक दी घर के हैं इसलिए कुछ छिपाभो मत मुझसे । सोना के
कु व्यं क्षे गये, थद्ट विज्कुत्त दीऊ डी किया उन्दने! तो छुम
সু ह यात दविपाना क्यों चाहती दो है
रेसी बात सत कहो । इमारा घर यों द्वी बरबाद हो गया
कुछ शान्ति वो रद्दने दो 1
द् हो गया ! तुम्हारा क्या झुकपान हुआ ज़रा सुनूँतो!
सुम्हें तो पक क्रादमी बदुुत भारास के साथ पुक दिफोजव को जगद
पहुँचा भावी, मरन तो मेरी हुईं। ओद ! मेरा तुझ का ! मेरा बेटा | यू.
चुरी मौत मरा । इस घर में राकस् भरे हैं--झठोर और লিল,
~व अरि देवरानी टा अपमान करने के लिए कुछ ' अपशब्द खोज
र्ट यी जिते वह उसे शुस्सा दिला सके |
ज्ीज को लगा कि उसमे साथ बेजा सलूक किया जारहा दे
भरं वह कम्बल मे मेहं छिपाकर रोने छगी । बच्चा' दर गया और
चिद्दाने छूगा । ४
माँ, क्या मामखा दे ? कोयले का एक गद्दर लिये हुए सोना छौटी
तो बड़े फेर में पढ़ यथी ।
अपनी बेटी की झावाज्ञ खुनकर तो उसकी तझछीप: और जैसे बढ़-सी
गयीं । भत्र यट्टी उसकी স্টভী ़द़की थी। उसकी दूसरी छड़को सोना से
भी ज्यादा खूबसूरत थी । भर कितने अच्छे, कितने प्यारे थे दोनों बच्चे !
कभी उन्होंने पुक काम - उसको - मर्ज के खिछाफ नहीं किया। अपने
য়া জী বাহ মী অহ नहीं देख सदी | उस घोटी-सी कम पर वद
दो यार जा चुकी थी |: घद सोच दी नहीं पाती थो कि उस वक्त হা
कैसा दिखा रद्दा दोगा । उसकी हा्ठत क्या इलाज किये हुए बकरे के
समान रही दोगी, जिसकी आँत--पीखी, सफेद और ” ाऊ--निकाज्षकर
अत्षग कर दी आती ह । इस विचारमात्र से उसे टया कि कोह उसकी
अँत़ियाँ निकाले दाङ रदा ै।
मो रोभ्रो म । छाकी, माको क्यो ख्टारदीहो हुम, लेकिन
सिसकने सोना भी छगी । , कं
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