पर्यावरण प्रदूषण कारण और निवारण | Paryaavaran Pradushan Karan Aur Nivaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
229
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पानी
पामी का बढ़ता दुर्पयोग और प्रदूषण
मनुष्यो, पशुआ और पौधो के जीवन और बढ'परी के लिये पानी प्रप्थमिक
महत्त्व रखता है। यह शरीर म पानी की मात्रा ओर उसका तापक्रम बराबर बनाये
रखमे मे सहायव है। हमारे शरीर मे कुल भार बे अनुपात मे 75 प्रतिशत पानी की
मात्रा होती है। यह पसीने, मल और मूत्र के द्वारा शरीर म काम न आने वाले और
हानिप्रद पदार्थों को शरीर से वाहर निवालने म सहायता बरता है। पानी के मामले
में इस देश बी गिनती दुनिया के सम्प न देशो में होती है मगर दुर्भाग्य की बात है
कि वही पर वर्षा बहुत और कही पर नही के वराबर हातो है इसलिये इस देश मे
पानी की समस्या एक विवट समस्या है। साथ ही साथ पानी पा रस रसाव व उप
मोग ठीव से नहीं होने के कारण पानी ने प्रदूषण की समस्या विवराल रूप धारण कर
चुकी है। ज्यादा पानी बरसना, बाढ आना, सूसा पडना एवं घरो और कारसानो से
निवलने वाला गदा पानी आदि इस समस्या मे आग में घी डालने वा प्राम कर रहे
हैं। इनसे प्रदूषण इतना वढ रहा है वि नलवूपा, हैंडपम्पो और पानी बे स्रोतों से
रगीन पानी भाने लगा है। पानी मे मनुष्यो और पशुओ में बीमारी पैदा बरने वाले
सूक्ष्म जीवाणु, रासायनिदा विप, कारखाने और धर वी नालियो वा पानी और
मावनिक तथा अकावनिव पदाय पाए जाये तो उसे प्रदूषित पानी कहते हैं। पानी
দা प्रदूषण मुस्पतया मनुष्यो और पशुओ के द्वारा ही होता है।
पानी बे रासायनिव मिश्रण मे दो भाग हाइड्रोजन और एवं भाग आवसीजन
का होता है। यवाप्प रूप मं पानी वहुत शुद्ध होता है लेकिन जब वर्षा वे रूप मे यह
घरती पर बहूता है तय बायुमण्डल और परती बी अगुदिया अपन साथ पोल
झेता है। पानी मे पदार्थों को घोलने का गुण होने बे वारण यह आसानी से दूषित
हो जाता है, इसलिये यह कभी भी शुद्ध रूप म नही पाया जाता ।
पानी वे उपयोग
1 घरेछू उपयोग
(०) भनुष्यो बे पीने बे लिये (दी) साना पदान मे तिये (सो) थाने के
लिये (डी) पुआ के पीन और उपने घरा शो सपाई हे स्िय (दर) नहनेबे तिप
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