प्रश्नामृत प्रश्नोत्तर तरंग | Prashna Amrt Prashnotar Tarang

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Prashna Amrt Prashnotar Tarang by चतराजी अबुतमलजी - Chatraji Abutmalji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ लिखवाके नेजा जायगा, तो अकेले रुपचेदजीके বীজ खप आवेगा, पण ओर जीवॉके छपगारी न होगा वास्ते विशेष जिज्ञासु पुरुषोके लिये সঙ্গী तरयथ वनजवे तो ठीक, एेसी श्री राजगढके से फी अश्ज सुनके, ओर र० रूपचग्जीक स्यादाद तत्वगवेपी अपद््निवेसीं व्यवहार दृष्टिततिं समक्ष के, युक्त परभधमे स्नेददृष्टि स्वपरोपकार बुद्धिस यह पदाथसुधासिंधुत्तरंग अवोध जीवोंछु वोवनेफे लिये, नानाग्रंथ तथा पूर्वाचार्य पंचांग न्‍्यायसंम त यद ग्रथ बालनापार्मे बनाया इस यंथर्में वि विध प्रकारके प्रश्नोत्तर पूर्वक पदाथ सिद्धिके चार ' वर्ग हे, तामे (० रुपचंदजीने प्रश्न हुमी लिखि तिस हुमीका उत्तर रुप रोफम नेजनके लिये, प्रश्नोत्तरतरंगनामा प्रथम वर्ग महाराज साहवेने व | नाया; तव श्री संघने इंदोर ठावणी कु० रूपच॑ ¦ दजीके पास नेजा, तव यैयङ्ं वांचके अस्यानं 3




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