मुंहता नैणसी री ख्यात भाग - 4 | Munhta Nainsi Ri Khyat Part -4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1 ৪ शिव ॥
पूमिका
राजस्थान वीरो और सतियो का देश है। इसकी मिट्टी का कण-कण
जीवनी-शक्ति का स्रोत है। सहस्नो श्रप्रतिम घूरवीरो के श्रोजस्वित रक्त की
प्रसंख्य भावनांश्रो और अनगिनत सतियों के जीहर की पांवन भस्म के योग
से उसमे वह जीवनी-शक्ति समाई हुई है कि जिसके दर्शन मात्र से मुर्दा दिलो
में शरत्व उत्पन्न हो जाता है। वह जीवन की सार्थकता और भ्रनोखे जीवट
की एक संजीवनी है। उसमे जीवन की निस्पृहता, सहनशीलता, हढता श्रौर
कठोरता के साथ भावोद्रेकता श्रौर मानवीय सवेदना की सुषम श्रोतप्रोत है।
राजस्थान की सबसे बडी विशेषता यह रही है कि इसका इतिहास स्वय युद्ध-
कला के विशारद मातृभक्त वीरो ने खड़ग-लेखनी की नोक से श्रपत्ती रक्त-मरि
हारा चित्रित किया है। यह श्रसख्य सती वीरांगताओं के जोहर-यज्ञों श्रोर
वीरो के मरणोत्सवो (श्रश्नृतपुर्व और श्रगणित नारी श्रौर नरमेघो ) का इतिहास
हैं। जीना हे मरने के लिये श्ौर मरना हैँ जीने के लिये--इस रहस्यमय
जीवन-मरण विज्ञान के नित्य व्यवहार भौद प्रत्यक्ष उदाहरणो की श्रनुभूति
शजस्थान का इतिहास है। वीरो के समान ही युग-युगो तक आत्मन्ञानोपदेश्च
श्रौर पथग्रदर्शन करते वाले श्रनेको ज्ञानी-भक्त श्रौर कवि-कुसुम यहां प्रफुर्लित
हए ह, जिनकी मधुर सुवास विश्व-साहिव्य मे ्रजोड हं । रसे वीरो, सक्तो
श्रौर कवियो का राजस्थानी साहित्य प्रत्येक दिलामे श्रागे वडा हुश्रा है ।
राजस्थानी साहित्य गद्य (ख्यात, वातत, हकीकत, वचनिका इत्यादि) श्रौर पद्य
की श्रनेक शौलिया श्रपनी मौलिकता के लिये प्रसिद्ध ह হুল सभी परपराश्रो
मे श्रनेक उत्कृष्ट कोटि की रचनाश्रो का सुजन हृश्रा है । श्रनेक विद्वानों ने इस
भाषा की सम्पन्नता व साहित्य के वशिष्ट पर श्रनूठे उद्गार प्रकट किये हैं! ।
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