नागरिक जीवन | Nagrik Jeewan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कृष्णानन्द गुप्त -Krishnanand Gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(२)
अच्छे अस्पताल चाहिए। टैक्स का रुपया इसौ कामे खर्वः
होगा। सरकार उसे अपने पास नहीं रक्खेगी। और न अपने.
किसी कास में खचचे करेगी । बल्कि भ्रान्त की सावंजनिक उन्नति फे
জানা ক জিত হী অই উল लगाया जा रहा है । उससे अस्पताल
वगैरह तो खुलेंगे ही, साथ ही छोटी तनख्वाह पाने वाले चौकी-
दारों, चपरासियों वग्गेरह की तनख्वाहें भी बढ़ायी जायेंगी 0?
परन्तु दूसरे दल के मैम्चर बिल का विरोध कर रहें हैं ।
जिन लोगों की तरफ़ से वे काउन्सिल में गये हैं, उनकी तरफ़ से
उनका कहना है कि (सरकार को यदि रुपया चाहिए तो हमे इससे
सतल्ब ? हम टेक्स क्यों दें ? ल्ञोगों की चनख्याहें बढ़नी चाहिए
स कि घटली | सरकार को यदि अस्पताल खोलने हैं, अथवा
छोटी तनख्वाहें पाने वाले नोकरों की तनख्याहें बढ़ानी हैं तो वह
दूसरी मद्द में खचा कम करके अपना वजट पूरा क्यों नहीं करती ।
चह हमारा लुक़सान क्यों करती है? यह तो बही हुआ कि
कल्लू के फ़ायदे के लिए मल्लू की गदन पर छुरी फेरी जाय | हम
यह टैक्स देने को तैयार नहीं हैं। और यदि सरकार ने यह टैक्स
लगाया तो हम सब मिलकर उसका विरोध करेंगे ।
यह विल्ल काउन्सिल में पेश है ओर चूँ कि बहुसत उसके पक्त
में है, इसलिए आशा की जाती है कि थोड़े से संशोधन के साथ
वह पास हो जायगा।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...