हिन्दुओ के व्रत और त्यौहार | Hinduyo Ke Vrat Aur Tyohaar

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Hinduyo Ke Vrat Aur Tyohaar by कुवर कन्हैयाजू -Kuvar Kanhaiyaju

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ हिंदुओ के ब्रत और त्योहार के दिन होने वाङ शिवरात्रि त्रत की कथा भी सुनी । उस दिन सायका साहकार ने उसे छोड दिया और अगले दित रुपया अदा करने का उससे वचन ले लिया। चतुदशी को प्रात काल नियमा नखार बहेलिया अपने नगर से दक्षिण दिशा की ओर एक गहन वन में पशु मारने के लिए चला गया। पर तु उस दिन कोइ पथु उ नही मिला । तब उसने दिन भर की भूख प्यास से व्याकुल ह एक जलाशय पर रात बिताने का निश्चय किया । एक जलाशय देखकर उसके किनारे वह अपने छिपने के लिए जगह बनाने लगा। जलाशय के समीप ही एक बेल का पेड था' और उसी के नीचे एक शिव लिग स्थापित था। बहेलिया उस पेड पर चढ क्र बैठ गया और जपनी सुविधा योग्य स्थान बनाने के लिए बेर कं पत्ते तोड तोड कर नीचे डालने खगा । नीचे गिरे हुए विल्व पत्रो से হান छिग ढक गया! बहङ्िया दिन भर भूखा रहन कं कारण एक्‌ प्रकार स हिवराक्चिं का ब्रत कर भका था, और शिवजी पर बेलपत्र भी घढा चुका था। बहेलिया को पेड पर बठे बठे जब एक पहुर रात बीत गयी, तब एक गभवती हिरणी उसको सामने से आती हुइ दीख पड़ी । उसे देखते ही उसने उसे लक्ष्य करके धनुष पर बाण चढ़ाया। हिस्णी भयभीत हो उठी और बोली-- म गर्भिणी हूँ। मेरा प्रसूत काल समीप ह। यदि आप मुभे इस समय छोड २ तोम प्रमुत बालक को जन्म देकर तुरत यहाँ लौद आऊगी। यदि में तुरन्त आपके पास मे आऊ तो कृतघ्न को जो पाप গলা সু, অন্ত मुभको खगे ।” हिरणी का इतना कहना था कि बहेलिया ने धनुष 'पर से बाण उतार लिया और हिरंणी को वापस आने की प्रतिज्ञा पर छोड दिया। उस हिरणी के चले जाने पर बह॒लिया शिव शिव करता हुआ किसी अय जापवर के आने की प्रतीक्षा करने रूगा'। आची रात हो जाने पर एक दूसरी हिरणी सामने से आती हुइ उक्षेदिखाई दी। बहेलिया ने फ़िर धनुष पर बाण चढाया। हिरणी




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