उद्योग और रसायन | What Industry Owes To Chemical Science

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What Industry Owes To Chemical Science by गोरखप्रसाद श्रीवास्तव -Gorakh Prasad Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय १ कृषि [ उवेरक, पशु-खाद्य, तम्बाक ] उवेरक प्रोफेसर एन ० एम० काम्बर, डी° एस-सी° (लन्दन), आई० सी° विज्ञान ओर कृषि का सबन्ध, अन्य उद्योगो से उसके सबन्ध की अपेक्षा, कुछ एक महत्त्वपूर्ण बातो में बहुत भिन्न है। कृषि की मूलभूत प्रक्रिया यानी मिट्टी में पौध के विकास' को न तो किसी वैज्ञानिक ने कभी सोचा और न ही उसका आविष्कार किसी प्रयोगशाला में हुआ। इसके विपरीत प्राय समस्त रासायनिक उद्योगो की आधारभूत प्रक्रियाए पूर्वेयोजित होती है किन्तु कृषि विश्रा हमें स्वत प्रकृति से मिली है। सच तो यह है कि हम अभी तक इस वित्रा को पूरी तरह समझ भी नही पाये है। फलस्वरूप हमने बिता सोचे समझे यह धारणा बता ली है कि कृषि एक प्राकृतिक उद्योग है जिसकी देख भाल भ्रकरति स्वय करती है ओर करती रहेगी । परन्तु वस्तु स्थिति यह है कि वर्तमान कृषि उद्योग एक तरह से प्रकृति के विरुद सतत्‌ युद्ध है, क्योकि यद्यपि पौधा-विकास की मूलभूत प्रक्रिया हमे प्रकृति से निष्पन्न रूप मे मिरी है, फिर भी उसकी सारी सफलता मनुष्य की उस योग्यता और चतुराई पर निर्भर है जिससे वह प्रकृति के अवाछित पौधों के विकास को रोककर ऐसे पौधे उत्पन्न करता है जो शायद प्रकृति स्वय कभी न उपजाती । बीज को रोप कर उसका विकास और उसकी वृद्धि प्रकृति पर छोड देना कृषि कमं की कुरारता नही है, कुशल कृषि कमं तो एसे स्थान पर जौ, गेहूं ओर धान उपजा লা है जहाँ प्रकृति के भरोसे केवर एक विकट जगल खडा हो जाता, क्योकि निसगे तो आज भी हमारे उर्वेर खेतो मे एेसे ही जगकरू उत्पन्न कर देने कै' लिये तत्पर है। अतः अनुकूछ कृषि-कर्म (क्रॉप हसबेण्ड्री) के लिये मिट्टी मे उन खनिज पोषक पदार्थों 4 ०५९58 সঙ্গম




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