प्रज्ञा | pragya
श्रेणी : भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
137
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' गाँधी जी का जन्तर
तुम्हें एक जन्तर देता हूं । जब भी तुम्हें सन्देह
ही या तुम्हारा अहम तुम धर हनी हने समे,
तो यह कसौटी आजम्ाओ :
जो ग़बसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने
देखा हो, उसकी गकल पाद करो और अपने
दिल से पूछी कि जो कदम उठाने का तुम विचार
फार रहै हो, धह उस आदमी के लिए कितना
उपयोगी होगा | क्या उससे उसे कुछ लाभ
पहुँचेया ? क्या उससे बह अपने ही जीवन और
भाग्य पर कुछ काम रख सकेगा ? মাগি দত
उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज्य मिल
सकेगा जिनके पेंट भूखे है और आत्या अतुष्त है ?
तब तुम देखोंगे कि तुम्हारा संब्बेह मिट रहा
है और अहम् समाप्त होता जा रहा है।
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