शांति उपदेश तत्त्व संग्रह [खण्ड ५-६-९-१०] | Shanti Updesh Tatva Sangrah [Vol ५-६-९-१०]

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Shanti Updesh Tatva Sangrah [Vol ५-६-९-१०] by अज्ञात - Unknown

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११०० ०० ११९०.०५० ५००09.00 ७49 ১0৩ ७५०,०० ५००. 00 8০০ 0०0 ४१८३७.०० श्री नरेन्द्र कुमार जैन #१/९ दीवान हाउसिंग बो, अलवर श्री सुरेशचंद जैन बडौत वाले 1⁄5 ४४९४ 7७900 (०कल गाधीनगर दिल्ली फोन . घर- २४३२७८८ दुकान २२४६०६४ ' गुप्तदान मार्फत श्री-एस के जैन, नौर्गोवा अलकर) श्री दिनेश्च कुमार जैन €.^. खतौली वाले, देहली प्रथम संस्करण मँ १५० के 10. १०/- के आये उसकी बचत श्रीमती प्रकाशवती जैन 0-49 ग्रैटर कैलाश-1 नई दिल्ली-४ट फोन :- ६४१७११३ श्रीमती सुशीला जैन ऽप्त. पट. भ) प. ০. 2, 15০০-৮] তা 0০190591701, रोपड़ (पजाबं) 140113 (৭) सभी ^वुप्डणाला। रला्ाज४७ 8००८ ८८4 द्वारा किया जाता है । (२) श्री जगदीश प्रसाद जैन को माँगने पर १०० ग्रंथ दे दिये हैं। (३) श्री १०८ उपाध्याय चन्द्रसागर जी को शिखर जी १०० ग्रंथ भेज दिये हैं। वे आचार्य श्री के शिष्य हैं। परम पूज्य श्री १०८ आचार्य शान्ति सागर जी के चरणों का दास महाबीर प्रसाद जैन सर्राफ शाकाहार प्रचारक १३२५ चाँदनी चौंक देहली १८-४--१६ ६७ नोट :- वितरण किए हुए सभी ग्रंथों का पूर्ण 1५००० है।




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