अर्चना | Archana

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Archana by भगवन्त शरण जौहरी - Bhagavant Sharan Jauhari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इसीलिए प्रत्येक श्वास में अकित दुस्सह कोलाहल हे! इस भांति प्रेम को सुकुमार गुत्थियों को सुल्लकाने बाला हमारा ` मधुर कवि जग और जीवन की समस्य्रो सेमी श्रपरिचित नहीं हे श्र इसी में उसक्की वास्तविक ॒प्रगतिशीलता निष्ित हे । राखी श्रादि विषयों पर रचना कर कवि ने अपने संस्कृति-प्रेम का भी परिचय दिया है जो अन्य कवियों के लिए अनुऋरणीय है । अन्त में मुझे यही कह्टना हे कि हिन्दी के उदीयसान कवियों में मगचन्त का भविष्य सबसे उज्ज्वल हे । यह बाल-सूय, क्षितिज से धोरे- धीरे ऊपर उठ रहा है, हमारी श्राशाओं के कमल चिकसित्त हो रहे हैं । महाकवि कालिदास की पुण्य नगरी उज्जयिनी छा निवासी यह किशोर कवि मेरा श्रनन्य লিল चिरजीवी हो, श्रपनी प्रतिमा से दिन प्रतिदिन भारती को भ्रधिकाधिक गोरवान्वित करे यही मेरी भगवान से एकमात्र कामना हे) दीपावली चन्द्रप्रकाश জলা साकेत, प्रयाग बी° ए० (জনিত) ग्यारह




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