भ्रष्टाचार की पाठशाला | Bhrashtachar Ki Pathshala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
133
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आसमान में सूराख करने के लिए एक छोटा गोल संगमरमरी पत्थर काफी
देखभाल करके अनोखेलाल जी बाजार से खरीद लाए!
आकाश में सूराख करने के बाद ऐतिहासिक पत्थर की भलोक पर वापस
लोट आने की कोई संभावना नहीं थी। भविष्य में इस ऐतिहासिक पत्थर पर
बड़ी-बड़ी टीका-टिप्पणियाँ भी संभावित थीं। इन पर अखबारों का टनों कागज
काला-पीला या लाल-नीला हो सकता था। अत: एहतियात के तौर पर और
मीडिया को सुलभता के लिए अनोखेलाल जी ने इस संगमरमरी पत्थर के चार
एंगिलों से चार कलर्ड फोटो खिंचवा लिये
मान्यता प्राप्त प्रकांड पंडित ज्योतिषाचार्य से शुभ-मुहूर्त निकलवाया गया
और ठीक शुभ मुहूर्त पर एक वीडियो कैमरे सहित अनोखेलाल जी अपने मकान
की सबसे ऊंची छत पर चढ़ गए। कैमरामैन के अतिरिक्त साक्षी के लिए मझे
भी साथ रखा गया था। इस ऐतिहासिक घटना के प्रत्यक्षद्शी होने का लोभ
अनोखेलाल जी के घर-परिवारवाले भी संवरण नहीं कर पाए थे। वे भी
হল-নল सहित छत पर आ जमे थे।
अनोखेलाल जी फिर भी कुछ आशंकित-से थे। अगर पत्थर ने आकाश में
सूराख नहीं किया? इतना बड़ा शायर झूठ तो नहीं बोल सकता। पृथ्वीलोक की
इतनी सारी जनता क्या बेबात ही शेर की इतने सालों से दाद दे रही है। আই
शेर की जान उसकी यह सच्चाई ही तो है जो सारी जनता को इसका कायल
किए हुए है।
अनोखेलाल जी ने प्रश्नवाचक निगाह से मेरी ओर देखा, मानो पूछ रहे हों
“उछालू?
मैंने मन-ही-मन एक बार शेर को फिर दोहराया। इसमें 'तबीयत से' पर
बहुत जोर था। सो मेने आगाह किया, “पंडित जी, पत्थर को तबीयत से
उछालना है। अगर तबीयत से न उछाला गया तो शायर आकाश में सराख का
जिम्मेदार नहीं होगा।''
अनोखेलाल जी थोड़ा उलझ गए। शायद मन ही मन वह भी शेर को दोहरा
रहे थे ओर शेर में तबीयत से के वजन की नाप-जोख कर रहे थे! संभलकर
बोले, “शायर ने तो सारा जोर ही तबीयत पर डाल रखा है।'
“तो क्या हुआ, आप भी सारा जोर तबीयत पर ही डाल दो।” मैंने सुझाव
दिया।
दर्शक-दीर्घा से श्रीमती जी लगभग चिल्लाई “क्यों देरी कर रहे हो? शुभ
मुहूर्त निकला जा रहा है। उछालो ना!”
अनोखेलाल जी ने संशय में डूबकर फिर प्रश्न किया, “अब मेँ इस तबीयत
को कहां से लाऊं?”
आकाश में सूराख/15
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