गुदगुदी | Gudgudii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.8 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निर्वाक-अवाक सुनता रहा, अपलक देखता रहा श्रीवास्तव जी की भगिमोंयें |
उनकी बातो से असहमत था तो पढ़ लिया था उन्होने मुझे मन ही मन 1.... ..मुझे
धिक्कारते हुए बोले, ' फूलहिं फलहि न बेंत जदपि सुधा बरसहि जलद । हुह, तुम्हारा
कसूर नहीं बरखुरदार, कसूर तो इस देश के आजकल की हवा-पानी और माटी
का है . .. .बिलावज़े तुम्हारी गुरूवाई में झीकता रहा, वर्ना अब तक पॉच किलोमीटर
का मार्निंगवाक कर चुका होता । आसमान की ओर चलता तो किसी ग्रह के ऊपर
बैठा-बैठा गाना गा रहा होता ।' मुझे बडी हिकारत भरी नज़र से घूरते हुये वह
फिर दूसरे रास्ते पर मुड लिये थे ।
ण
गुदगुदी .. # १५ कं
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