श्री महावीर वचनामृत | Shree Mahaveer Vachnamrit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
528
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सम्परादकीय
भगवान् महावीर के वचनो के प्रति श्रद्धा, प्रेम और विश्वास
की दढता मेरे जीवन में किंस प्रकार उद्भूत हई, इस सम्बन्ध में
यदि यहाँ थोडा-सा उल्लेख किया जाय, तो अनुचित नही होगा ।
जैन कुटुम्ब में उत्पत्न होने के कारण भगवान् महावीर का
नाम तो शैशवावस्था में ही श्रवण किया था तथा चौबीस
तीर्थंकरो के नाम कण्ठस्थ करते-करते वह हृदय-पटल पर अङ्कित हो
गया था! तदनन्तर मेरी घर्म-परायण माता ने महावीर-जीवन के
कतिपय प्रसद्ध सुनाये उससे में अत्यन्त प्रभावित हुआ था, किन्तु
उस समय मेरी आयु बहुत छोटी थी, मेरा ज्ञान अति अल्प था॥
चीदह-पन्द्रह वर्ष की अवस्था में मेरी जन्मभूमि ( सौराष्ट्र
के 'दाणावाडा' गाँव ) में मेरे दाहिने पर मे एक सर्प ने दं
दिया, तब प्रहवीर-महावीर' नाम रटने से ही पुनर्जीवन प्रात
किया था ।
(कर अहमदाबाद मे रहते हुए विद्यास्यास के दिनों मे एक वीर
पयुषण-पवं के समय गुरुमुख से भगवान् महावीर का चरित्र मेने
आच्ोपान्त सुना ओर मेरे मन ने उनकी एक सञ्खलमयी मूर्ति
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