रासपंचाध्यायी और भंवरगीत | Rasapanchadhyayi Aur Bhanwaragit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ऐंड 9
'पयाघ्यायी का तृतीय श्राार जयदेव का गीवगोबिन्दा कहा
जाता हे] यपि भीतमोविन्द दौर रास-पचाध्यायी के फवानक में
श्राकामा-प्रातल का श्रन्चर ४, तथापि दोनों की ग्रवान्-गवि, मघुरता
और शैली एक ही सच में टली हुई है। ननन््ददास जी से कदाचित्
गीतगोविन्द्र के माधुये के वशीभूत द्लोफ़र ही अपने काव्य की रचना
की है । दोनों की मपुरता का दंग एक टी है |
ऊपर हमं रास-पचाध्यावौ के कथानं ॐ श्राधार पर विचार कर्
चुके हैं। अब यहा इस बाव पर बिचार करना है कि पंचाध्यायी
रास पंचाध्यायी अ्रीमद्धागवत पर कहा तऊ अवलम्बित है | इस बात
तथा को निश्चित रप से कहना अत्यन्त कठिन है फि
आीमद्धागवत प्ाध्यायी की स्वना मँ मन्ददान ने टस्विशपुराण”
त्तथा “गीनगोविन्द! ते द्वितनी सहायता জী ইং किन्तु इसमे लेश सात्र
भी सन्देह नही करि इसकी सचना के समय कवि के सम्मुख पुष्टिमार्भर्यौ
के सान््य अन्य श्रीमद्धायवत ॐ रास-क्रीड़ा-्सम्बन्धी अध्याय सदेव वर्तमान
रहे | इस कथन फे प्रमाण-ल्वन्प नीचे कुछ उद्धरण दिये जाते हैं---
নাকী ভিন उटराज उदिन रस राम सद्टायक ।
कुंडुम-मंडिल प्रिया-वद्न सनु नागर नानक ॥
र० पं० झ० १-११
स्दोडुराजः ककुभःफरेसुंगं आचया चिलिस्पन्तरणन शंत्तसः।
स चर्पणीनासुदगाच्युं चो खजन्थियः ग्रियायरा হল दोष॑द्शनः गे
श्ी० भा० दश० स्फं० पूत्र० श० २६-२९
कोड तन्नी गुन-में शरीर निन सथ उसी रूफि।
माल पिता पति অন্তু হট জুলি ভুক্চি ন হী হকি ॥
रा० पं० अ० १-६८
ता वार्यमाणाः पतिभिः पिवृभि््राद्न्छुभिः 1
गोविन्दापहृतात्माने न न्यदत॑न्त मोदिताः १
श्रो° चा० दण० स्कं० पू्वा० प २६-म
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