स्वत्रंत्रता के चार द्वार | Savtantrtake Char Dvar

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Savtantrtake Char Dvar by पुप्फ जैन भिक्षु - Pupph Jain Bhikshu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मत हार १३ वही भारी सहायता करनी चाहिब, और उनफी जयमे अपना जय तथा समाजमा जय मानना चा्िये 1 यह स्वत जताका पहला प्रत द्वार है ।




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