कौमारभृत्य अथवा बालचिकित्सा | Kaumarabhritya Athava Balchikitsa

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Book Image : कौमारभृत्य अथवा बालचिकित्सा  - Kaumarabhritya Athava Balchikitsa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( 5) „स्नान मँ समय अधिक लगता है और इस स्नान में झ्रधिक “समय लगता डचित भी नहीं है। पानी की गरमाहट के विषय - में भी धान्री फो विशेंप सभाल रखने की आवश्यकता है | डा- |स में इस जल फी गय्माहद रे० खेंटिग्रेड अच्छी बतलाते हैं। यह नाप “बाथ थर्मामीटर” से जानी जाती है । गरम पानी सें धर्मामीरर फा पारेबाला श्र श डलरूर दिलाया जाताहे तब यष्ट पाय जल्लफी गरमौ से ऊपर चद्ने लगता दै 1 जव धमां- भीटर फा पारा &४.सेंटिग्रेड पर पहुंच जाय तव उस जल को चालक फे स्नानोपयोगी मानते हैं ।जहाँ पर जलकी यथार्थ उष्णुता फा शान नहीं, वहाँ दाइयों जल में भ्रगुली डालकर या हथेली में जल लेकर उसकी परीक्षा करती हैं| पर उनका यद्‌ फाम चाहिये जेखा उचित नही, क्योकि बरावर काम घंदा करते रहने से हार्थो का चमा इतना कठोर दो जाताः कि उस से जल की गरमादट की यथार्थं परीक्ता नदीं टो सकती । एसी दशा में जलको एक पतले हलऊे ( गिलास ) जैसे बर्तन में भरकर गाल पर लगाना | यदि वरतन की ग्रस्माहट मामूली गाल से सह्य मालूम हो तो वद ठीक दै, वैसे दी अल से बालक फो स्नान फराना | नाल काटने और वाँधने के लिये एक तेज चाकू या कैंची और रेशम का डोगा चाहिये । बालक के भूमिष्ठ होने पर जब उदका गल्या सफ फर दिया जाय और बालक श्यास केने




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