हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली भाग ६ | Hazari Prasad Dwivedi Granthavali Prat - 6

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hazari Prasad Dwivedi Granthavali   Prat - 6 by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
निवेदन नाथ-सम्प्रदाय का यह दूसरा संस्करण प्रकाशित हो रहा है । इसका प्रथम संस्करण हिन्दुस्तानी एकेडेमी की ओर से प्रकाशित हुआ था । जिन दिनों यह पुस्तक लिखी गयी थी उन दिनों इस विपय पर कोई पुस्तक नहीं थी । इसके विभिन्‍न अगो पर विद्वानों ने कुछ-कुछ लिखा अवश्य था पर सम्पूर्ण सम्प्रदाय का परिचय उनसे नहीं मिलता था । इधर इस दिश। में अनेक शो थी विद्वान प्रयतनशील हुए है और बहुत- कुछ लिसा जा रहा है। फिर भी नित्य आते रहनेवाले पत्रों से लगता है कि जिशञासु पाठक इसकी भावइयकता अनुभव करते हैं । हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने छूपापुर्व क इसके नये संस्करण के प्रकाइान का अधिकार नैवेदय-निकेतन वाराणसी को दिया है । अब यह वही से प्रकाशित ही रहा दै। इस नये संस्करण में कुछ मयी जानकारियाँ वढ़ायी अवदय गयी हैं पर यथासम्भव पुस्तक के पुराने ढाँचे को ज्यों-का-त्यों रहने देने का प्रयत्न किया गया है। जैमे-जैसे नाय सम्प्रदाय के विस्तार और प्रभाव की जानकारी प्राप्त होती जा रही है वैसे-वैते इसका असाधारण महत्त्व भी स्पप्ट होता जा रहा है। भारतीय धर्मसाधना के इतिहास में इस सम्प्रदाय का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भवित- आन्दोलन के पुरे यह संवाधिक महत्त्वपूर्ण धामिक आ ्दोलन रहा है और बाद में भी पर्याप्त शक्तिशाली रहा है। आधुनिक भारतीय भापाओ मे से प्रायः सबके साहित्यिक प्रयत्नो की प्ृप्ठभ्रूमि में इसका प्रभाव सक्रिय रहा है। आधुनिक भार- तीय भाषाओं के साहित्य की प्रेरक दाक्तियों का अध्ययन इस सम्प्रदाय के अध्ययन के बिना अधूरा ही रह जायेगा । पुस्तक के प्रथम संस्करण का बिद्वानों ने स्वागत किया है प्राय इसके विपय में उत्साहवद्धंक पत्र मिलते रहे हैं । मैं उन सहृदय बिद्वानू पाठकों के प्रति हार्दिक इतशता प्रकट करता हूँ जिन्होंने इसे प्रेमपूर्वक अपनाकर इसका गौरव बढाया है । 19.12.66 हजारोप्रसाद दिवेदी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now