भगवान् महावीर: उपदेश और सिध्दान्त | Bhagwan Mahaveer: Updesh Or Sidhdant
श्रेणी : जीवनी / Biography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
23
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सदाचार
२
क
১৯ र
4 রি
ब्रह्मचर्य सर्वोत्तम तथ है ।
ब्रह्मचर्य के नष्ट होते ही, मनुष्य के सभी गुण स्वत: ही नष्ट
हो जाते हैं ।
, ब्रह्माचय का पालन करनेवाले के पास सभी सदगण स्वत ही
आ जाते हैं ।
. जो बुरी दृष्टि से स्त्रियों की ओर देखता है उसका पतन
ग्रवव्यंभावी है ।
५. जो अपने को जीत लेता है, वह सबको जीत लेता है ।
. हजारों भयंकर शत्रुग्नों पर विजय पाने से बढ़कर अपने आप
प्र विजय पाना है ।
. गला काटने वाला झात्रु भी तुम्हारी उतनी हानि नहीं करता
जितनी दुराचार करता है ।
, जीवन और रूप सौन्दर्य बिजली की चमक के समान छिप
जाने वाले हैं ।
. जी अपने पर अनुशासन नहीं रख सकता, वह औरों पर अनु-
दासन कसे कर सकता है ।
अपरिग्रह
१. जो ग्यक्ति श्नपनौ कच्छाश्नो को पूणं करना चाहता है बह मानो
छलनी में पानी भरना चाहता है।
२. जमाखोरी के समान कोई जाल और कोई बन्धन नहीं ।
३. हमें जीवन के लिये आवश्यक वस्तुओ्रों का संग्रह भी इस प्रकार
करना चाहिए कि उससे दूसरों को कष्ट न हो ।
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