आदित्यनाथ | Adityanath
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
323
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आदित्यनाथ २१
अभाव नहीं ही रह जायगा, तो फिर यह कम ना-समझी न होगी कि
बाहर के अध्यापको को नियुक्त कर, बाहर से सचित इस विशाल निधि
में व्यर्थ का उन्हे ही सामेदार बनाया जाय | सो, वे उन बाहर से आए
प्राथंना-पत्रों की उपेक्षा कर स्थानीय उमीदवारो की ओर श्रधिक आ्राकृष्ठ
होने लगे थे। विद्यापीठ समिति के अध्यक्ष लाला रामनाथ वकील की
सुपुत्री कुमारी इन्दिरा ने मैट्रिक पास कर लेने के बाद इस वर्ष ही पजाब
विश्वविद्यालय की 'प्रभाकर' परीक्षा भी पास की थी। सारे कुल्लू-
प्रदेश मे उस समय इससे भ्रधिक योग्यता की महिला शायद न थी ।
ग्रत यह प्रस्ताव पेश किया जा चुका था कि चूकि प्रधानाध्यापिका पद
के लिए बाहर से किसी महिला बी० ए०, बी० टी० का उपलब्ध होना
ग्रासान नही है, अत तब तक उस पद् पर कुमारी इन्दिरा को ही नियुक्त
कर दिया जाये । और विद्यापीठ के मन्त्री श्रीयुत रलियाराम सूद की
भतीजी कुमारी कृष्णा सुद हिन्दी भूषण' उत्तीर्ण होने के कारण
सहायक-प्रध्यापिका के पद पर नियुक्त की जा सकती थी । और उपमत्री
प० श्री पश्रमीरचन्द्र की भानजी श्री मनोरमा देवी सिलाई-कढाई के कार्य
मे सुनिपुण होने के कारण अध्यापिका पद की हकदार मानी जा चुकी
थी । और इसी प्रकार और इसी प्रकार बहुत सारी दूसरी भी ।
प॒० हीराचन्द्र शास्त्री की आथिक अवस्था यद्यपि अच्छी न थी, पर
कुल-गौरव के कारण वे कुल्लू के लोगो मे काफी आदरणीय थे। और
स्वय सनातनधर्मीं होते हृए भी भ्राये-समाजी एवं श्रब्राह्मण स्वामी
सत्यकेतु के दरबार मे हाजिर होने व पैर छू-छूकर प्रणाम करने मे
ग्राचार्य-पद एवं श्रर्थे का लोभ जितना कारण था शायद स्वामी जी के
प्रति आदर भाव उतना नहीं । क्योकि उनकी इस समय की मनोदशा
पर विचार करके ऐसा सोचना श्र समभना अपराध नही कहा जा
सकता ।
रात की नींद हराम हो छुकी थी । हर दस-पाँच मिनट बाद करवट
के श्राघात से खाट की मचमची उस नीरव निशीथ को सरव बनाती हर्द
User Reviews
No Reviews | Add Yours...