शांति पथ प्रदर्शन | Shantipath Pradarshan

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Shantipath Pradarshan by ब्र॰ जिनेन्द्र - Br. Jinendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(छ) ১০, ৯৯১০৮০৮২০০১ सस्या विषय पृष्ठ | सख्या विषय पृष्ठ (9३) अतिचार ३ धर्म मे दर्शन ज्ञान शारित्र की एकता ३४३ १ धामिक जीवन मे भीदोपोकी , ४ शाब्दिक श्रद्धा व अनुभव का कार्य- सम्भावना श्य कारणभाव ३५३ २ अपराधी होते हुए भी तिरपराधी.. ३९६ | (४८) सम्यवल या सच्ची श्रद्धा के लक्षणों ू ३ श्रभिप्राय की प्रधानता ३२६ में समस्यय- ४ अतिचार व अनाचार में अन्तर “३३० | १ पांच लक्षण कह (४४) परिषद जय वे श्रुवौ ३ খাবা में पृथक पृथक शान्ति का १ ध सु ५६ १ तप्‌ व परिषह मे अन्तर ३१२ | 3 पानो स्रो रे २ परिपह जय का लक्षण ३३२ | ३ पांचों सक्षणो की पता ३५७ 2 परिपहो के भेदादि ' ३३३ | (४६) सम्यक्ल के अंग वे गुश ४ अनुप्रेक्षा का महात्म्य व उनके माने १ धर्मी के अनेकों स्वाभाविक चित. ३३६६ কান্ত ২২৫ | २ निःशकता ३६० ५ कह्पनाओं का দানার ३३६ | ३ निराकांक्षता ३६१ ६ कम से बारह भावनाये ३३७ | ४ निविचिकित्सा २६ (४५) चासि ` ४ श्रमूढ दृष्टि ३६४ १ चारित्र का लक्षणा व पूवं कथित प्रणो ६ उपगहनं व उपव हरा ३६५ से इसका सम्बन्ध ३४२ | ७ स्थिति करण ३६६ २ चारित्र मे अभ्यास की महिमा ३४३ | 5 वात्सल्य ३९७ 3 सामयिक श्रादि पाचों चारित्रो का ९ प्रभावता ३६७ चित्रण ३४३ | १० प्रशम ३६७ ४ ग्रन्तरद्ध ब वाह्य चारित्र का समन्वय ३४५ ११ सवेग ३६७ (४६) निजरा ब भोच १२ श्नुकम्पा ३६८ নিয়া १३ भास्तिवंय ३६८ १ तिर्जेरा का परिचय २३५७ | ९४ पैत्री | २ मोक्ष का लक्षण ३४७ र १५ प्रमोद ३६० ই मोक्ष सम्बधी गु कल्पताये ३४८ | १६ कारण वं माध्यस्थता ४ मोक्ष पर अविश्वास ३४८ च ५ मोक्ष का स्वरूप शान्ति ३६ | {ष परिशिष्ट प्रा समन्वय , (३०) भोजन शुद्धि च (क) भोजन शुद्धि की साथकता- (४७) शान्ति पथ का एकीकरण ` भोजन का मन पर प्रभाव ३६६ १ घर्म व श्रद्धा के लक्षणों का समस्वय ३५१ | २ ताससिक, राजसिक व सात्विक भोजन ३७० २ श्रद्धा ज्ञान की सप्तात्मकता का ३ सात्विक भोजन में भी भक्ष्यामक्ष्य विवेक २७१ एकीकरण २३५१ __ न __ ~~~




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