मेरे द्वार तरु नीम का | Mere Dwar Taru Neem Ka
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रमेश कुमार त्रिपाठी - Ramesh Kumar Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पीले, रसीले, पके
चुए इसके ।
बटोरे हे गे,
खेल उनसे खेले है ।
इसकी सूखी सीको से
दाँत साफ किये है,
कान खुजलाये है
मीठे-मीठे सिहरकर ।
अपने पुरातन की कभी
शाखा को कटा देख,
दिल मे दर्द हुआ है ।
द्वार को शान
इसे समझा मेने ।
इस प्राचीन पादप के
कुछ ही पहले से
होता है इतिहास शुरू
मेरे विप्र-वश का,
छोटे-से गाँव मे ।
सग-सग पुरखे के
बीत गयी पोच पीटि्यो |
मेरे पुरखे
पले-बढे
तरुवर के ऑगन मे ।
फिर यही से उन्होने
शुरू की आखिरी
गगा-यात्रा अपनी |
साथ निभायेगा क्या अन्त तक
अति परिय सखा यह
मेरे वशधरो का
वर्तमान ग्राम मे ?
६
User Reviews
No Reviews | Add Yours...