देश के इतिहास में माड्वादी जाती का स्थान | Desh Ke Itihas Me Marvadi Jati Ka Sthan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42 MB
कुल पष्ठ :
1044
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ३ |
परिचयः नामक पुस्तक छिख कर किया था । गत ४० बरसों से इन्होंने
मारवाड़ी समाज कै पूर्वेतिहास का अनुसन्धान ओर मनन किया
है, वर्तमान मारवाड़ी समाज के पूर्व पुरुषों के चरित्रों का अध्ययन
करके समाज की संस्कृति, परंपरा और विशेषता को जाना है, सार-
वाड़ी समाज के सामाजिक और अन्य कार्यो में सदा ही भाग छेते
रहे हैं, मारवाड़ी समाज की समस्याओं को इस तरह भलीभांति
सममा है ओर पूर्वेतिहास, पूवं परंपरा ओर सामाजिक विशेषता की
दृष्टि से मारवाड़ी समाज के भावी कर्तव्यो का मी पूणं विचार किया
है। इनकी अपनी लेलन-रोी ই जिसका होना ही किसी ठेखक् को
लेखक बनाता है। इनके विचार में मोलिकता भी है जिसके बिना
ग्रन्थ ग्रल्थ नहीं होता । यह मोलिकता ऐतिहासिक प्रकरण में जितनी
देख पड़ती है उतनी ही सामाजिक प्रकरणों में भी | इन सब बातों के
ऊपर सबसे बड़ी बात यह है कि चाहे किसी विषय मे लेखक के साथ
किसी का मतभेद भी हो जाय तो भी ग्रन्थ को पढ़ते हुए यह तो
साफ ही देख पड़ता है कि छेखक ने जो कुछ लिखा है वह सहृदयता,
सत्यप्रियता और पश्षपातर॒हित विचारप्रियता से लिखा है ओर मुझे
यह आशा है कि ऐसे अधिकारी पुरुष के द्वारा छिखा हुआ यह
ग्रन्थ मारवाड़ी समाज के ल्यि ओर सामान्यतः सवके चयि ही
उर्नति का एक अच्छा मागदशंक होगा। पाठक यह् देले कि
पुस्तक में सर्वत्र ही मारवाड़ी समाज की सेवा के साथ साथ हिन्दुत्व
की भावना प्रधान रूप से काम कर रदी दै |
मारवाड़ी समाज के मूर निवासस्थान राजपूताना के गौरवमय
इतिहास के किंचित् वर्णन के साथ दी ग्रन्थ का आरंभ हुआ है और
यह अल्पारंभ निम्चय ही क्षेसकर है; पर्योंकि जो जाति यह स्मरण कर
सकती है ओर इस स्यति को बनाये रह सकती है कि हमारे पीछे उस
वीरता का इतिहास है जिसका जगत् के इतिहास में कोई सानी नहीं,
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