श्री हरि विरह माला | Sri Hari Birah Mala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
341
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४
तमी तो किशोर वय से आपने अपने सभी कायै ओर
साया अलौकिक व्यवहार खनः ही संभाला ।
उनका जन्म स्थानीय वेश्य कुटुंब व्यापारी
सामान्य अक्षरज्ञान वाला है,
मायामय सासारकि जीवन मय हे ।
सिर्फ यह ज्येष्ठा सुपुत्री निमिल बच्ची बहिरंतर खरूपमे
सभी से सर्वथा ही अति विभिन्न है।
विद्याध्ययन मे अध्यापको को रखने मे पिता का सहकार रहा;
परतु इछ समय वाद् ही अनेक विषम योगों मे
अपने ध्येय की वह
अकेटी ही राही बनीं ।
परन्तु वह अकेली नहीं थी,
माता सरस्वती की कह ओर
उनके आराध्य प्रिय श्री इयामसुदेर का परम सम्बल साथमे था! |
ओर कड़ी विकट वीथी से चलते हुए,
द्याम तपस्विनी की प्रच्छन्न प्रताप शक्ति सहल्न गुण खिल्ल उठी !
उसने आज के क्षण तक पैतृक सम्पत्तिका कोई
उपयोग नहीं किया !
दिया पर लिया नहीं तनिक भी |
सव दी पर विनीत सोम्य भावना बहा... ...
किशोर बय के अत से ही--
भआतमशक्ति पर ही रहनेका अटल अ्ययमय आरभ किया !
इस खरस्वतीने अपनी सररती के अनन्य भावुकोंके
अनन्य भावनासे अर्पित भाव-द्रव्य का ही उपयोग किया!
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