ध्यानयोग प्रकाश | Dhyanyog Prakash
श्रेणी : साहित्य / Literature

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है | কল ॥ ५
परमात्मा उस कौ प्राप्ति कराने वालो श्रीर ध्यानर॒पी सरल विधि
से लिद्ध होने वाली जो योगविद्या है, उस का मैं चर्यन करता हूं ।
अतएव आप सेरे सहायक हजिये ॥
श्लोक
स्वीत्मा सचिदानन्दोड्नन्तो यो न््यायरुच्छाचिः ।
रय ৩ १ ১ ১০4১
प्ैयात्तमा सहाया ল। হ্যা सवेशाक्तमार् | ९ ॥
(আগ নি ) ः
अर्थ--है खब के अन्तय्यामी ओत्मा परमात्मन ] आप रुत् चित्
और श्रानन्दस्वरूप है, तथा अनन्त, स्थायकारो निर्मल ( खदा पवित्र )
दयालु और सर्चसामर्थ्ययुक्त हैं, इत्यादि अनन्त गुणविशेषधिशिष्ट जो
आप हैं सो मेरे सर्चधा सहायक हजिये, जिस से कि मैं इस पुरुतक
के बनाने के निमित्त समर्थ हो जाऊं ॥
ओश्म--शन्नो मित्रः शा वरुणः शन्नो भवलय्यभा ।
शन्नः इन्द्रो बृहस्पतिः शनो रिष्एुररुकमः ॥ नमो
ब्रह्मे नमस्ते वायो त्वमेव प्रत्यक्ष बह्मा । तामे
परत्यक्षं बह्म वदिष्यामि । ऋतं वदिष्यामि । सत्य
वदिष्यामि। तन्मामवतु । तदक्तारमवतु । अवघु माम् ।
अवतु वक्तारम् ॥ ओरेम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः
इति तैचिरीयोपनिपदि शिन्ताध्याये पथमांजुवांकः
(अर्थ ) ( ओश्म ) दे खर्वरत्तक; सवोधार, निराकोर परमेश्वर !
( न:+मित्रः+ शम् ) वह्मजिद्या के पढ़ने पढ़ाने: सीखने, खिखाने
हारे शुरू शिष्यों, स्त्री पुरुषों, पिता पुत्रा आदि सम्बन्ध बाले, हम
दोनो कै घर्म, अर्थ, काम श्रौर मोच्तसम्बन्धी खुखौ कौ प्राष्ति के लिये
खव के सुत् आप चथा हमारा भाश चायु श्राप के अडुझद से कल्या-
रकार दी ।'
( चरुणः+ शम् ) है स्वीकरणीय वरिष्ठेश्दर | आप तथा दमाय
अपान चायु खुंखकारफ हो ॥
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