श्रीशिवपुराण साहित्य | Shrishivpuran Sahitya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shrishivpuran Sahitya  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विषय पृष्ठ-संख्या जिवके प्रसादसे प्राणियोंकी मुक्ति, शिवकी सेवा- भक्ति तथा पाँच प्रकारके दिव-धर्मका वर्णन ----४८९ ८-- रिव-ज्ञान, हिवकी उपासनासे देवताओंको उनका दर्शन, सूर्यदेवमे शिवकी पूजा करके अर्ध्यदानकी विधि तथा व्यासावतारोका वर्णन -+ ०४९१ ९---- शिवके अवतार, योगाचार्यो तथा उनके शिष्योंकी नामावली । ४९३ १०-- भगवान्‌ शिवके प्रति श्रद्धाभक्तिकी आवश्यकताका ग्रतिपादन, शिवधर्मके चार पादोंका वर्णन एवं ज्ञानयोगके साधनों तथा शिवधर्मके अधिकारियोंका निरूपण, रिवपूजनके अनेक प्रकार एवे अनन्य- चित्तसे भजनकी महिमा ** “४९३ ११-- वर्णाश्रम-धर्म तथा नारी-धर्मका वर्णन; शिवके भजन, चिन्तन एवं ज्ञानकी महत्ताका प्रतिपादन ४९६ १२-- पश्चाक्षर-मन्त्रके माहात्यका वर्णन ४९८ १३-- पश्चाक्षर-मन्त्रकी महिमा, उसमे समस्त वाङ्मय की स्थिति, उसकी उपदेशपरम्परा, देवीरूपा पदञ्माक्षर-विद्याका ध्यान, उसके समस्त और व्यस्त अक्षरोंक ऋषि, छन्द, देवता, बीज, शक्ति तथा अज्भन्यास आदिका विचार ***७०० १४-- गुरुसे मन्त्र लेने तथा उसके जप करनेकी विधि, पोच प्रकारके जप तथा उनकी महिमा, मन्त्रगणनाके लिये विभिन्न प्रकारकी मालाओका महत्त्व तथा अंगुलियोंके उपयोगका वर्णन, जपके लिये उपयोगी स्थान तथा दिशा, जपमे वर्जनीय बातें, सदाचारका महत्त्व, आस्तिकताकी प्रशंसा तथा पद्चाक्षर मन्त्रकी विशेषताका वर्णन ০০৭ ২৬ त्रिविध दीक्षाका निरूपण, शक्तिपातकी आवश्यकता तथा उसके लक्षणोका वर्णन, गुरुका महत्त्व, ज्ञानी गुरुसे ही मोक्षकी प्राप्ति तथा गुरुके द्वारा शिष्यकी परीक्षा ° ° ९५०५ ९६-- समय-संस्कार या समयाचारकी दीक्षाकी विधि -**-५०७ १७-- षडध्वशोधनकी विधि --*५९१० १८-- षडध्वशोधनकी विधि - ---८११ ९९-- साधक-संस्कार ओर मन््र-माहात्यका वर्णन - - -५९४ २०-- योग्य रिष्यके आचार्य-पदपर अभिषेकका वर्णन तथा संस्कारके विविध प्रकारका निर्देडा শব विषय पृष्ठ-संख्या २९-- अन्तर्याग अथवा मानसिक पूजाविधिका वर्णन५१६ २२-- शिवपूजनकी विधि -*५१७ २३-- हिव॑पूजाकी विरोष विधि तथा रिव-भक्तिकी महिमा ° ५१९ २४-- पञ्चाक्षर मन्त्रके जप तथा भगवान्‌ रिवके भजन- पूजनकी महिमा, अग्निकार्यके लिये कुण्ड और লী. आदिके संस्कार, हिवाभिकी स्थापना ओर उसके संस्कार, होम, पूर्णाहुति, भस्मके संग्रह एवं रक्षणकी विधि तथा हवनान्तमे किये जानेवाठे कृत्यका वर्णन ५२१ २५-- काम्य कर्मके प्रसद्खमें राक्तिसहित पञ्चमुख महादेवकी पूजाके विधानका वर्णन - ` ५२५. २६-- आवरणपूजाकी विस्तृत विधि तथा उक्तं विधिसे पूजनकी महिमाका वर्णन ৮০১৬৭ २७-- रिवके पोच आवरणोंमें स्थित सभी देवताओंकी स्तुति तथा उनसे अभीष्टपूर्ति एवं मड़लकी कामना ५३० २८-- ऐहिक फल देनेवाले कर्मों और उनकी विधिका वर्णन, शिवपूजनकी विधि, शान्ति-पुष्टि आदि विविध काम्य कमेमि विभिन्न हवनीय पदाथेकि उपयोगका विधान - --८४२ २९-- पारलकिक फल देनेवाठे कर्म--रिवलिद्न- महात्रतकी विधि ओर महिमाका वर्णन “০৬৬ ३०-- योगके अनेक भेद, उसके आठ और छः अड्रोका विवेचन--यम, नियम, आसन, प्राणायाम, दराविध ग्राणोको जीतनेकी महिमा, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधिका निरूपण पड ३१-- योगमार्गके লিল, सिद्धिसूचक उपसर्ग तथा पृथ्वीसे लेकर बुद्धितत्त्पर्यन्त ऐश्वर्यगुणोका वर्णन, शिव-शिवाके ध्यानकी महिमा *** ४८ ३२-- ध्यान और उसकी महिमा, योगधर्म तथा शिवयोगी- ~ का महत्त्व, शिवभक्त या शिवके लिये प्राण देने अथवा शिवक्षेत्रमें मरणसे तत्काल मोक्ष-लाभका कंथन “5०७७१ ३३-- वायुदेवका अन्तर्धान, ऋषियोंका सरस्वतीमें अवभृथसत्रान और काशीमें दिव्य तेजका दर्शन करके ब्रह्माजीके पास जाना, ब्रह्माजीका उन्हें - सिद्धि-प्राप्तिकी सूचना देकर मेरुके कुमारशिखरपर भेजना - -५५५३




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now