कृषि हानिकारक कीट-पतंग | Krishi Haanikaarak Kiit Patang

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Krishi Haanikaarak Kiit Patang by मोतीलाल गुप्ता - Motilal Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रहते हैं। इनके शरीर का चितकबरा र॑ग होता है.। अब उपर्युक्त वर्णन से आपको ज्ञात हो गया होगा कि अधिकांश कीट-पतंग अपने जीवन काल में चार रूप (अण्डा, सुन्डा, प्यूपा, तथा प्रौढ़-पतंग)धारण करते है । इनमें से अण्डा चौर प्यूपा-रूप किसी प्रकार भी हात्तिकारक नहीं होता। हमें इन हानिकारक पतंगों के सुए्डा और श्रौद़ पतंग रूप पर ही अधिक ध्यान देना ,चाहिये क्योंकि इन रूपों में ही ये ऋषि के महान शत्र्‌ हैं ।अतः इन्हें नष्ट करने के लिये हमें अधिक से अधिक उपाय कनी चाहिये । इन दो हे रूपों में कीट-पतंग बड़ी तीज्र गति से एक स्थान से दूसरे स्थान को वदते ह । अतः इनके नष्ट करने के उपाय इनके अरुडों और प्युपों पर विशेष रूप से लागू हो सकते है क्योकि इन दो रूपों में कीट-पतंग एक ही स्थान पर पड़ रहते है । इन्द आसानी से नष्ट किया ` जा सकतां है| यदि अण्डे नष्ट हो जांय तो सुण्डे कहां से उत्पन्न हो सकते हैं ? मक्खियों को नष्ट करने के लिये आप मक्खियां तो नहीं मार सकते,मक्खियों का नाश उनके अणख्डों द्वारा ही हो सकता है । परन्तु इसका यह अर्थ नहीं कि श्रीढ़ पतंगों को नष्ट करने के लिये कोई उपाय ही नहीं है । इस सम्बन्ध में द्वितीय अध्याय म बताये गये पतंगो के अलग अलग वर्णोन से आपको अधिक जानकारी हो सकेगी । উর কর | क० हैं।० की० प० #




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