विज्ञानं परिषद अनुसंधान पत्रिका | Vigyan Parishad Anushandhan Patrika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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৬1008108 021151780 4১1000381701)217 080119১ ৬০1. 46, ০.3, এএ]% 2003 मान्य अवकल समीकरण के हल में सार्वीकृत ति-फलन का सम्प्रयोग जेनाराम तथा दिनेश कुमार गणित तथा सांख्यिकी विभाग, जे, एन. व्यास युनिवर्सिटी, जोधपुर ( राजस्थान ) [प्राप्त - दिसम्बर 11, 2002] सारांश वृत्तीय झिल्ली के बलकृत स्पन्दनों को नियंत्रित करने वाले सामान्य अवकल समीकरण को हल करने में सार्वीकृत फलन का सम्प्रयोग प्रदर्शित किया गया है। प्राप्त परिणामों से प्रसाद इत्यादि 2 तथा स्नेडान 3 द्वारा सिद्ध किये गये परिणामों का एकीकरण तथा विस्तार प्राप्त होता है। 3 08190 +11 2001)01109101078 01 6 एशास-बॉाएटव प्-प्िालिणा के 80- 717 1170 0০01০721 01101010019] ০08261060৬০] 070 10700] ₹11072610775 01 8 लापता पाला 96, 6}, (-7€8 {२270 2110 11109] 17010217121 লাল] ৬98৩ 10101501915, /0৫10001 (२2 .). £সা)। 20011080107 06006 00021811290 [01-0010011010 10, 501%1179 (06 9617618] 01061617015] 60021101 0061101105 16 10106 ৬1018101017 01 ३ 011000181 10617010121)9 19 06100017518160. 1176 79919 [010৮106 01010021010] 2170 ০১021051010 01 006 1590105100০ 0% 13530, ९ 2 2110. 176000]) (13) 1. अस्तीवना इनायत हुसेन ने 8 फाक्स के प्-फलन का सार्वीकरण निम्नांकित रूप में प्रस्तुत किया हे -




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