मन का चेहरा | Man Ka Chehra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मैन को रा किसी के साथ न होने पर भी'पार्मो के-साय ट्‌ कारण हैं पार्थो नानाविध उल्टो-पीधी चौचो से पनं कर वनाद । | जिनको मस्या देल पार्थो वेदना का बनुमव करवा है, स्वयं च. होकर चले आने के कारण हाहाकार करता है उसका मन | अदृमृत बात ছল ना अदूमुत्त है, इसोलिए तो आज अचानक मुक्ति की परित्यिति में बहुत दिनों নার, উল शाम, पार्थों को बहुत सुन्दर सगो 1 एक भीड़-भरी बस पर चढ़ कर आनन्द से रोमांचित हो उठा । और तभी देखा उष भोड़ में अतिन, शुभेन्दु और टूटू खड़े है। उसे फिर एक बार बाज की शाम पर प्यार आपा । उसे लगा आज उसे खोया हुआ स्वर्ग मिल गया है। उसी समय पार्थों ने मत ही मन प्रतिज्ञा को--न, अब उस संजय घोष के अंगुल में नही फेंसूगा । इसे! भीड़ में घवकापेत्ती करता हुआ आना जाना करूंगा । क्यों न कह ? नौकरी लगवा दी है, बहुत अच्छा किया है। लोग तो ऐसा किया ही करते है। बड़े आदमी के सिफारिश के बिना किसे कब नौकरी मिलती है ? इसके मतलब यह तो नहीं कि और सारे सहकृमियों का चल्कुशूल बनाए उसे कार पर बैठा कर ला रहे है, सौटा ले जा रहे है । हार्जांकि संजय घोष इस दफ्तर के कोई नहीं--यहाँ उनका प्रभाव था इसी- लिए पार्थों को प्रवेशाविकार मिन्ता है | यहाँ के मालिक होते तो खैरियत न थी । दूसरे लोग घिवकारते-विबकारते जोवन को अंधकारमय वना डालते, बयोंकि उनका माक्रोश बढ जाता । इस बक्त माक्रोश नहीं, ईर्ष्या है। इसो ईष्यविश भिस्दर मुख्न्जी कभो-कभी मुस्कुरा कर कहते--महाशय, मुझ कमी-कमी इस वात का शक होवा है दि पुष्प कै अलावा याप बौर कु तो नही ? हर रोज नियमप्रुवंक दो वक्त कार्‌ पर्‌ तिष्ट देना--यह ठो किसी पुएप जाति के भाग्य में वदा नहीं है। वे आपके साथ क्या करते हैँ ? गंगा के किनारे हवा खाते हैं. जाकर ? मैदान में स्मात्र वि्ठा कर बैठाते हैँ ? या जी० दो० रोड, धा० टो० रोड पर मनों पेट्रोल जला कर वह मीलों घूमा करते है ? जरा बताइए महाश4, सुनें तो 1 दार्षों ऐिर्फ इतना हो कहता--बस, इततो सी बातें कह कर एक गए ? और कुछ नही याद था रहा है ? फिर ये कैसी कवि-कल्पना ?7 “मज़ाक नही महाशय ! आप हम लोगों के लिए 'प्रमंग' है! 'छुशी की बात है ! बंगाल में प्रसंग! लेकर इतनो खोचाताती है, मैं नद्वी जानता था। लेकिन सिर्फ एक बाद बाप कैसे भूल गए, जरा बताइए ? मुझे तो রক तरह याद है--कहा था वे मेरे चाचा लयते है! ओर महाशय रुस वात को छोड़िए | आप मुखर्जी, बह घोष--किस तरह कै चादा हुए बताइए ? या तो बनाए हुए या बड़ी दूर के क्िम्ती तरह के असंबर्ण




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